नई दिल्ली: वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर संयुक्त संसदीय समिति (JPC) ने अपनी रिपोर्ट को अंतिम रूप दे दिया है। सोमवार को हुई बैठक में समिति ने विधेयक में प्रस्तावित 44 संशोधनों पर चर्चा की, जिनमें से 14 संशोधनों को मंजूरी दी गई। इन संशोधनों को NDA सांसदों द्वारा प्रस्तुत किया गया था। हालाँकि, विपक्ष के कई सुझावों को वोटिंग के दौरान खारिज कर दिया गया।
विपक्ष के आरोप और हंगामे के बाद समिति का फैसला
विधेयक को लेकर विपक्षी दलों ने अपनी आपत्तियाँ दर्ज कराईं, लेकिन बहुमत के आधार पर उनके प्रस्तावों को स्वीकार नहीं किया गया। विपक्षी सांसदों का आरोप है कि समिति की कार्यवाही में लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं की अनदेखी की गई। TMC सांसद कल्याण बनर्जी ने इस प्रक्रिया को “हास्यास्पद” करार दिया और आरोप लगाया कि अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने तानाशाही रवैया अपनाया। वहीं, जगदंबिका पाल ने स्पष्ट किया कि पूरी प्रक्रिया लोकतांत्रिक थी और बहुमत की राय को महत्व दिया गया।
JPC में हंगामा और विपक्षी सदस्यों का निलंबन
24 जनवरी को दिल्ली में हुई बैठक में विपक्षी सदस्यों ने हंगामा किया था। उन्होंने आरोप लगाया कि उन्हें प्रस्तावित संशोधनों पर विचार-विमर्श के लिए पर्याप्त समय नहीं दिया गया। बैठक के दौरान हंगामे की स्थिति उत्पन्न होने के कारण समिति ने TMC सांसद कल्याण बनर्जी और AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी सहित 10 सदस्यों को एक दिन के लिए निलंबित कर दिया।
संशोधन पर उठे सवाल और आलोचनाएं
विधेयक में किए गए कुछ संशोधनों को लेकर मुस्लिम समुदाय की चिंताएं भी सामने आई हैं। जम्मू-कश्मीर के हुर्रियत नेता मीरवाइज उमर फारूक ने कहा कि नए संशोधनों के तहत कलेक्टर को मनमानी शक्तियाँ दी जा रही हैं, जिससे वक्फ संपत्तियों को सरकारी संपत्तियों में तब्दील किया जा सकता है। उन्होंने इन संशोधनों को मुस्लिम समुदाय के खिलाफ बताया।
सरकार का पक्ष: पारदर्शिता और डिजिटलीकरण पर जोर
वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता लाना, डिजिटलीकरण को बढ़ावा देना, बेहतर ऑडिट प्रणाली विकसित करना और अवैध कब्जों को हटाने के लिए कानूनी सुधार करना है।
केंद्र सरकार का मानना है कि यह विधेयक वक्फ संपत्तियों के दुरुपयोग को रोकने और भ्रष्टाचार को समाप्त करने में मदद करेगा। भाजपा सांसदों का कहना है कि विपक्ष नहीं चाहता कि रिपोर्ट संसद में पेश की जाए और वह जानबूझकर कार्यवाही में बाधा डाल रहा है।
वक्फ संपत्तियों पर विवाद और यूपी सरकार का दावा
यूपी सरकार ने जेपीसी के समक्ष अपनी रिपोर्ट पेश करते हुए दावा किया कि राज्य में वक्फ की 14,000 हेक्टेयर जमीन है, जिसमें से 78% जमीन सरकारी है। अयोध्या स्थित बहू-बेगम मकबरा भी इसी जमीन में शामिल है। शिया वक्फ बोर्ड ने इस दावे का विरोध किया है।
वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर देशभर में जो बहस चल रही है, वह इस बात को दर्शाती है कि पारदर्शिता और न्यायसंगत प्रबंधन सुनिश्चित करने के लिए व्यापक सहमति जरूरी है। वक्फ संपत्तियों के प्रभावी प्रबंधन के लिए डिजिटल प्रणाली और बेहतर ऑडिटिंग एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है, लेकिन इन सुधारों को लागू करने में समुदाय की भागीदारी और संतुलन बनाए रखना आवश्यक होगा।
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