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Tuesday, May 6   6:05:40

गोधरा कांड: 23 साल बाद JJB का ऐतिहासिक फैसला, तीन दोषियों को सुनाई गई सज़ा

अहमदाबाद: 27 फरवरी 2002 को भारत के इतिहास की एक दर्दनाक घटना घटित हुई थी — गोधरा कांड। गुजरात के गोधरा स्टेशन पर साबरमती एक्सप्रेस के एक डिब्बे में आग लगा दी गई थी, जिसमें 59 यात्रियों की जान चली गई थी। इस भयावह हादसे ने पूरे देश को झकझोर दिया और इसके बाद राज्यभर में सांप्रदायिक दंगे भड़क उठे। इस घटना और इसके बाद हुए दंगों में हजारों लोगों की जान गई और लाखों की ज़िंदगी हमेशा के लिए बदल गई।

23 साल बाद मिला न्याय:

इस मामले में लंबी न्यायिक प्रक्रिया के बाद जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड (JJB), अहमदाबाद ने 9 अप्रैल 2025 को तीन नाबालिग दोषियों को तीन साल की सजा सुनाई है। उस समय ये तीनों अभियुक्त किशोर थे, लेकिन जांच में उनके ऊपर साबरमती एक्सप्रेस को जलाने की साजिश में शामिल होने के पुख्ता सबूत मिले। बोर्ड ने अपने फैसले में कहा कि इन नाबालिगों को सुधारगृह में तीन साल तक रहना होगा।

राजनीतिक प्रतिक्रियाएं:

इस फैसले पर कई राजनीतिक नेताओं और सामाजिक संगठनों ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। कुछ लोगों का मानना है कि न्याय में देरी हुई, लेकिन यह निर्णय यह संदेश देता है कि चाहे समय कितना भी बीत जाए, कानून अपना काम करता है। वहीं कुछ मानवाधिकार संगठनों ने इस पर चिंता जताई है कि क्या इस फैसले से समाज में सद्भाव बढ़ेगा या पुराने घाव फिर से हरे हो जाएंगे।

सामाजिक प्रभाव :
गोधरा कांड और उसके बाद हुए दंगे सिर्फ गुजरात नहीं, बल्कि पूरे देश के सामाजिक ताने-बाने पर गहरा असर छोड़ गए। पीड़ित परिवार आज भी उस दर्द को नहीं भूल पाए हैं। यह घटना देश में धार्मिक ध्रुवीकरण, राजनीति में ध्रुवीकरण और मानवता के मूल्यों पर सवाल खड़े करती है। इस फैसले ने एक बार फिर उन यादों को ताज़ा कर दिया है।

23 साल बाद आया यह फैसला न्यायपालिका की स्थिर प्रक्रिया को दर्शाता है, लेकिन साथ ही यह भी बताता है कि ऐसी घटनाओं से मिली चोटें इतनी गहरी होती हैं कि उन्हें भरने में समय और संवेदनशीलता दोनों की ज़रूरत होती है। अब देखने वाली बात यह होगी कि समाज और शासन किस दिशा में आगे बढ़ते हैं — बदले की भावना के साथ या शांति और पुनर्निर्माण की ओर।