(नलिनी रावल)
NMC के नए नियमानुसार जेनरिक दवाएं प्रिस्क्राइब न करने वाले डॉक्टर्स को दंड दिया जाएगा।
आजकल बीमार होना भी आम नागरिक के लिए किसी जफा से कम नहीं है। डॉक्टर्स की फीस,अलग अलग टेस्ट और दवाइयों का खर्चा कई बार तो बचत तक खा जाता है। ऐसे में परिवार का भविष्य मुश्किल में आ जाता है। डॉक्टर्स ब्रांडेड दवाइयां लिख देते है ,जो बहुत ही महंगी होती है।आम नागरिक की सुविधा के लिए सरकार ने जेनरिक दवाईयां शुरू की, जिसमें कंटेंट वही होता है जो ब्रांडेड में होता है।पर कई डॉक्टर्स की, कंपनी या फिर मेडिकल स्टोर्स के साथ मिलीभगत के चलते मरीज परेशान हो जाता है,और खर्च की खाई कभी पाट ही नहीं पाता।
इसका उपाय एनएमसी के नए नियम में दिया गया है। NMC के बने नए नियम अनुसार यदि डॉक्टर्स जेनेरिक दवाइयां प्रिस्क्राइब नही करते तो ऐसे किस्सो में डॉक्टर के लिए दंड का प्रावधान किया गया है,वही प्रिस्क्रिप्शन भी सुवाच्य अक्षरों में लिखना होगा।प्रिंटेड प्रिसक्रिप्शन इसका बेस्ट पर्याय है।इस नियम के अंतर्गत डॉक्टर की प्रैक्टिस का लाइसेंस कुछ समय के लिए सस्पेंड किया जा सकता है। जेनरिक दवाइयों का स्टॉक रखने के लिए अस्पतालों को भी सूचित किया गया है।जेनेरिक दवाएं ब्रांडेड पेटेंट वर्जन से काफी सस्ती होती है, और 30 से 80% तक मरीज को आर्थिक फायदा हो सकता है। जेनेरिक दवाओं को एक ड्रग्स प्रोडक्ट के रूप में परिभाषित किया गया है।
NMC की परिभाषा के अनुसार जेनेरिक दवाइयां एक डोज के रूप में, शक्ति के रूप में ,गुणवत्ता और उपयोगिता के संदर्भ में ब्रांडेड और लिस्टेड प्रोडक्ट के समकक्ष है। दूसरी और ब्रांडेड जेनेरिक दवाएं पेटेंट से बाहर है ।इसका पेटेंट नहीं लिया जा सकता। नेशनल मेडिकल कमिशन यानी NMC द्वारा 2 अगस्त को जारी किए गए नियम अनुसार जेनेरिक दवाएं प्रिसक्राइब करने पर मरीज की आरोग्य सुरक्षा काफी हद तक सस्ती हो जाती है। मरीज कम खर्चे में बेहतरीन गुणवत्ता युक्त इलाज करवा सकता है।
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