CATEGORIES

November 2024
M T W T F S S
 123
45678910
11121314151617
18192021222324
252627282930  
Thursday, November 21   9:24:53

ISRO की नई उड़ान: धरती की हर धड़कन अब होगी भारत के रडार पर!

भारत ने आज अंतरिक्ष की ऊंचाइयों में एक और स्वर्णिम अध्याय जोड़ दिया है। इसरो ने स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल-03 (एसएसएलवी-03) की तीसरी और अंतिम विकासात्मक उड़ान से एक नए अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट (ईओएस-08) को सफलतापूर्वक लॉन्च किया। इसरो की यह अभूतपूर्व उपलब्धि अब धरती की हर धड़कन और हलचल को सुनने में सक्षम बनाएगी, जिससे प्राकृतिक आपदाओं की समय से जानकारी मिल सकेगी।

EOS-08 लॉन्चिंग:

जश्न-ए-आजादी के रंग अब और भी गहरे हो गए हैं, क्योंकि इसरो ने आज एक और ऐतिहासिक उड़ान भर ली है। चंद्रयान-3 को चांद पर पहुंचाकर दुनिया में अपनी धाक जमाने के बाद, 16 अगस्त की सुबह 9 बजकर 17 मिनट पर इसरो ने एक और बड़ी सफलता हासिल की है। इसरो ने अपने नवीनतम अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट EOS-08 को सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया।

इसरो के इस महत्वपूर्ण कदम से भारत अब धरती की धड़कन को समय पर सुन सकेगा। अगर इस मिशन में सब कुछ योजना के अनुसार रहा, तो आपदाओं की जानकारी समय रहते मिल सकेगी, जिससे जान-माल का नुकसान कम किया जा सकेगा। इस उपग्रह को एसएसएलवी-डी3 की तीसरी और अंतिम विकासात्मक उड़ान के जरिए अंतरिक्ष में भेजा गया है। यह उड़ान भारतीय उद्योग और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड के मिशनों के लिए भी नई संभावनाएं खोल देगी।

श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से सुबह 9 बजकर 17 मिनट पर 500 किलोग्राम वहन क्षमता वाला एसएसएलवी, 175.5 किलोग्राम वजन वाले माइक्रोसैटेलाइट EOS-08 को लेकर अंतरिक्ष की ओर रवाना हुआ। इस उपग्रह का जीवनकाल एक साल का है और यह धरती की हर हलचल का पता लगाने में सक्षम होगा।

चेन्नई स्थित स्टार्टअप स्पेस रिक्शा के लिए एसआर-0 उसका पहला उपग्रह है, जो इसरो के साथ अपनी उड़ान में शामिल हुआ। इसरो के अनुसार, EOS-08 मिशन के प्रमुख उद्देश्यों में माइक्रो सैटेलाइट के डिज़ाइन और विकास के साथ-साथ भविष्य के उपग्रहों के लिए आवश्यक नई प्रौद्योगिकियों का समावेश करना भी शामिल है।

जानिए मिशन की अहमियत:

इसरो का यह मिशन न सिर्फ भारत बल्कि पूरी दुनिया के लिए महत्वपूर्ण है। इसकी सफलता से धरती की हर धड़कन को समय रहते सुना जा सकेगा, जिससे भूकंप, सुनामी जैसी प्राकृतिक आपदाओं की जानकारी समय पर मिल सकेगी। यह सैटेलाइट लगभग 420 वाट बिजली उत्पन्न करेगा और इसरो के आगामी अभियानों के लिए भी एक नई राह दिखाएगा।