हमारा देश ज्ञान का सागर माना जाता है। यहां हर जगह आपको ज्ञान मिलेगा। चाहे वह आध्यात्मिक ज्ञान हो, सामाजिक ज्ञान या फिर अनुभवी ज्ञान। और ज्ञान प्राप्त करने के बहुत सारे रास्ते हैं। जैसे की अखबार पढ़ना, किताबें पढ़ना, आध्यात्मिक ज्ञान के लिए ग्रन्थ पढ़ने, या फिर दुनिया से अनुभवी ज्ञान प्राप्त करना। हमारे बड़ों के पास ज्ञान का पूरा का पूरा सागर है। पर आजकल देखा जा रहा है कि बच्चों में ज्ञान की कमी हो रही है। बच्चों को और युवा पीढ़ी को ज्ञान भरी बातों में कोई दिलजज़्बी नहीं रही। यह बहुत ही डरने वाली बात है क्यूंकि यही बच्चे आगे जाके देश संभालेंगे और आधे ज्ञान या अपर्याप्त ज्ञान होना हानिकारक होता है।
अधूरे ज्ञान की वजह
- यह ज्ञान अधूरा होने की कई सारी वजह है। पर इसमें सबसे बड़ा हाथ है सोशल मीडिया का। सोशल मीडिया ख़राब नहीं है पर यह रील्स और यूट्यूब शॉर्ट्स के कारण बच्चों की ध्यान अवधि बहुत कम हो गई है। हर चीज़ को आजकल छोटा करके शॉर्ट में ख़तम कर दिया जाता है, जिसकी वजह से किसी भी चीज़ में अब गहराई नहीं रही।
- एक और वजह है डिस्ट्रैक्शन और मल्टीटास्किंग। आजकल बच्चे किसी भी एक कार्य पे अपना पूरा ध्यान नहीं लगा पाते। जिसकी वजह से न तो वह उस कार्य को अच्छे से कर पाते हैं और न ही दुसरे कार्य को।
- तीसरी वजह है पढ़ने की आदत छूट जाना। बच्चे आजकल किताबें, अखबार और अन्य सूत्र जहां से ज्ञान मिले वह पढ़ते नहीं है। इसी से जुड़ती है जिज्ञासा और इसी से ही ज्ञान कि वृद्धि होती है। अब बच्चों को जानकारी लेने में ही कोई दिलचस्पी रही नहीं है।
- एक और वजह है स्कूलों और मां बाप का बच्चों को सही लोगों के बारे में जानकारी नहीं देना। पहले के समय में जब इतिहास पढ़ाया जाता था तो उसमें उन लोगों के बारे में पढ़ाया जाता था जिसने जीवन में कुछ हासिल किया है और पहले के लोग उन्हीं को ही अपनी प्रेरणा स्त्रोत बनाते थे। पर आजकल बच्चों को वैसे महान व्यक्तियों के बारे में न बताकर बहुत बड़ी भूल की जा रही है। यह सोशल मीडिया का असर बच्चों के दिमाग पर ऐसी पड़ रहा है कि वह किसी को भी अपनी प्रेरणा बना रहे हैं। माँ बाप और स्कूलों को यह ध्यान देना चाहिए की बच्चें क्या सीख रहे हैं, क्या देख रहे हैं और किसे अपनी प्रेरणा बना रहे हैं।
तो इन्ही सब वजहों के कारण बच्चों में ज्ञान की कमी नज़र आ रही है। ज्ञान होना बहुत ज़रूरी है। जितना हो सके बच्चों में पढ़ने की आदत डालनी पड़ेगी और उनके मार्गदर्शन के लिए अच्छे गुरु का साथ उन्हें देना होगा। ज्ञान सर्वोपरि है। बच्चों का ज्ञानी होना ज़रूरी है, जिससे उनका दिमाग सही दिशा में चलता रहे और स्वस्थ रहे।
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