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Wednesday, April 16   7:11:32

जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा में आतंक का सफाया या नए खतरे की दस्तक?

सुरक्षाबलों की कार्रवाई में एक आतंकी ढेर, ऑपरेशन जारी

जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में आतंकवादियों और सुरक्षाबलों के बीच भीषण मुठभेड़ हुई, जिसमें एक आतंकी मारा गया, जबकि कुछ अन्य आतंकवादी घेराबंदी तोड़कर फरार हो गए। यह मुठभेड़ नियंत्रण रेखा (LoC) से सटे क्रुम्हूरा राजवार इलाके में हुई, जहां सुरक्षा एजेंसियों को आतंकियों की मौजूदगी की गुप्त सूचना मिली थी। सेना का तलाशी अभियान अभी भी जारी है, क्योंकि कुछ आतंकियों के भाग निकलने की आशंका है।

कैसे हुई मुठभेड़?

अधिकारियों के अनुसार, सेना ने जैसे ही इलाके की घेराबंदी की, आतंकवादियों ने गोलीबारी शुरू कर दी। जवाबी कार्रवाई में सुरक्षाबलों ने एक आतंकी को मार गिराया और उसके पास से एक असॉल्ट राइफल बरामद की। हालांकि, इस मुठभेड़ में एक भारतीय सैनिक भी घायल हो गया, जिसे इलाज के लिए सैन्य अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

बढ़ रही हैं आतंकी घटनाएँ – क्या यह किसी बड़े षड्यंत्र का संकेत है?

कुपवाड़ा में हुई यह मुठभेड़ कोई अलग-थलग घटना नहीं है। बीते कुछ महीनों में जम्मू-कश्मीर में आतंकी गतिविधियाँ तेजी से बढ़ी हैं, जो देश की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बन चुकी हैं। हाल ही में हुई कुछ प्रमुख घटनाएँ इस ओर इशारा करती हैं:

  • 16 फरवरी 2025 – पुंछ सेक्टर में स्नाइपर फायरिंग, जिसमें एक भारतीय जवान घायल हुआ।
  • 11 फरवरी 2025 – अखनूर में IED ब्लास्ट, जिसमें दो जवान शहीद हो गए।
  • 4 फरवरी 2025 – पुंछ जिले में 7 पाकिस्तानी घुसपैठिए मारे गए।
  • 14 जनवरी 2025 – राजौरी में लैंडमाइन ब्लास्ट, जिसमें छह भारतीय जवान घायल हुए।

 क्या अब और सख्त कार्रवाई की ज़रूरत है?

इस बढ़ती आतंकी गतिविधियों को देखते हुए यह स्पष्ट है कि भारत के दुश्मन अपनी साजिशों से पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। सेना लगातार मुस्तैदी से सीमाओं की सुरक्षा कर रही है, लेकिन यह प्रश्न उठता है कि क्या अब समय नहीं आ गया है कि भारत आतंकवाद के खिलाफ और कठोर कदम उठाए?

सरकार को अब केवल रक्षात्मक रणनीति तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि आतंक के मूल स्रोतों पर कड़ा प्रहार करना चाहिए। पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठनों के खिलाफ कूटनीतिक और सैन्य स्तर पर ठोस कार्रवाई करने की जरूरत है। जब तक आतंकवाद के अड्डों को जड़ से समाप्त नहीं किया जाएगा, तब तक इस प्रकार की घटनाएँ होती रहेंगी और बेगुनाहों की जान जाती रहेगी।

अब सवाल यह है – क्या यह कुपवाड़ा में आतंक का अंत था, या एक नए खतरे की दस्तक?