किसी को पसंद करना, किसी से दिल लगा लेना — क्या यह कोई अपराध है? शायद नहीं, परंतु हमारे समाज में कई बार प्रेम करने वालों को सजा मिलती है, सिर्फ इसलिए कि उन्होंने अपने दिल की सुनी। ताज़ा मामला एक हॉनर किलिंग से जुड़ा है, जहाँ सुप्रीम कोर्ट ने साफ शब्दों में कहा — “किसी को पसंद करना अपराध नहीं है।”
यह मामला उस कड़वे सच को उजागर करता है जहाँ प्रेम, जाति, धर्म और समाज की बेड़ियों में जकड़ा हुआ है। अलग धर्म के दो युवा जब एक-दूसरे के करीब आए, तो उनके अपने ही लोग उनका सबसे बड़ा खतरा बन गए। हत्या कर दी गई — ‘इज़्ज़त’ के नाम पर, ‘परिवार की प्रतिष्ठा’ के नाम पर।
लेकिन इस बार सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया। अदालत ने कहा कि इस तरह की घटनाएँ न सिर्फ गैरकानूनी हैं, बल्कि यह मानवता के खिलाफ हैं। किसी को पसंद करना, उसके साथ जीवन बिताने का निर्णय लेना यह उसका संवैधानिक अधिकार है।
इस फैसले ने एक नई उम्मीद जगा दी है। यह न केवल एक न्यायिक हस्तक्षेप है, बल्कि उन हजारों दिलों की आवाज़ भी है, जो आज भी डर के साए में प्यार करते हैं। यह उन युवाओं के लिए एक सन्देश है कि अब उनकी भावनाओं को अपराध नहीं माना जाएगा।
अब सवाल यह है क्या समाज इस सोच को अपनाएगा? क्या हम ‘इज़्ज़त’ के नाम पर हत्या करना बंद करेंगे? क्या हम प्यार को जगह देंगे, या फिर नफ़रत को ही पालते रहेंगे?
आज ज़रूरत है बदलाव की एक सोच के, एक नजरिए के। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला एक शुरुआत है, पर इसे हमारी ज़िंदगी का हिस्सा बनाने की ज़िम्मेदारी हम सबकी है।

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