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Beggar Free City

इंदौर बना देश का पहला शहर जहां भीख मांगने पर लगी रोक! भिखारी को पैसे दिए तो होगी जेल

Beggar Free City: इंदौर, देश के सबसे स्वच्छ शहर के रूप में पहचाने जाने वाले इस शहर ने अब एक और बड़ा कदम उठाने की तैयारी कर ली है। 1 जनवरी 2025 से इंदौर प्रशासन ने शहर को भिखारी मुक्त बनाने का लक्ष्य रखा है। कलेक्टर आशीष सिंह द्वारा जारी किए गए आदेश के तहत न केवल बच्चों बल्कि बड़ों के भीख मांगने पर भी पूरी तरह रोक लगा दी गई है।

नए नियम के मुताबिक, अगर कोई व्यक्ति भीख मांगते हुए पकड़ा जाता है तो उस पर कार्रवाई होगी। लेकिन, इस बार प्रशासन ने एक और अहम कदम उठाया है—भीख देने वालों को भी जिम्मेदार ठहराया जाएगा। यदि कोई व्यक्ति सार्वजनिक स्थानों पर भीख देता हुआ पकड़ा गया, तो उसके खिलाफ भी FIR दर्ज की जाएगी।

जुलाई में बच्चों पर लगी थी रोक
इससे पहले, जुलाई 2024 में प्रशासन ने बच्चों के भीख मांगने पर रोक लगाई थी। इसका उद्देश्य बच्चों के शोषण को रोकना और उन्हें शिक्षा और बेहतर जीवन का अवसर देना था। लेकिन, अब इस नियम का विस्तार वयस्कों पर भी लागू कर दिया गया है।

इंदौर प्रशासन का मानना है कि भीख मांगना केवल एक सामाजिक समस्या नहीं है, बल्कि यह संगठित गिरोहों का हिस्सा भी हो सकता है। कई बार भीख मांगने वाले बच्चों और बड़ों का इस्तेमाल अवैध गतिविधियों में किया जाता है। इस नियम से प्रशासन न केवल इन समस्याओं को समाप्त करना चाहता है, बल्कि जरूरतमंदों के लिए सही सहायता प्रणाली भी स्थापित करना चाहता है।

रिहैबिलिटेशन और पुनर्वास की योजना
भीख मांगने पर रोक लगाने के साथ-साथ प्रशासन ने पुनर्वास के लिए विशेष कदम उठाए हैं। इंदौर में सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों के सहयोग से रिहैबिलिटेशन सेंटर्स की स्थापना की गई है। इन केंद्रों में उन लोगों को आश्रय, भोजन, और रोजगार के अवसर प्रदान किए जाएंगे, जो वास्तव में जरूरतमंद हैं।

क्या पूरे देश में लागू हो ऐसा नियम?
इंदौर प्रशासन के इस साहसिक कदम ने एक नई बहस छेड़ दी है। क्या यह नियम पूरे देश में लागू होना चाहिए? एक ओर, यह कदम शहर को बेहतर और व्यवस्थित बनाएगा। भीख मांगने वाले बच्चों और वयस्कों के पुनर्वास से उनका जीवन स्तर सुधरेगा। दूसरी ओर, कुछ लोग इसे जरूरतमंदों के लिए कड़ा फैसला मान सकते हैं। उनके लिए वैकल्पिक रोजगार और सहायता की योजना बनाए बिना यह नियम अमानवीय लग सकता है।

आपकी राय क्या है?
इंदौर प्रशासन का यह कदम सराहनीय है, लेकिन इसे लागू करने के लिए पुनर्वास और जागरूकता की मजबूत प्रणाली की आवश्यकता है। क्या ऐसा नियम पूरे देश में लागू होना चाहिए? अपनी राय कमेंट में जरूर दें।