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Semiconductor Chip के फैसले से अब चीन का निकलेगा दम, आसान भाषा में समझे कैसे

भारत सेमीकंडक्टर (Semiconductor) के क्षेत्र में जिस प्रकार से आगे बढ़ रहा है। उससे चीन को बड़ा झटका लगने वाला है। भारत सरकार चिप (chip) पर अपनी निर्भरता घटाने का फैसला लेते हुए देश में तीन सेमीकंडक्टर संयंत्र लगाने की मंजूरी दे दी है। इसकी वजह से भारत द्वारा चीन पर निर्भरता कम हो गई है। इससे चीन की अर्थव्यवस्था पर भी बुरा प्रभाव पड़ने के आसार नजर आ रहे हैं।

दरअसल दुनियाभर के देशों की नजर भारत के चिप मिशन (Chip Mission) पर है। अमेरिका, जापान, ताइवान की कई कंपनियां भारत की ओर रुख कर रही है। वहीं भारत के सेमीकंक्टर मिशन ने चीन की घबराहट बढ़ा दी है।

इतना ही नहीं चीन इस मिशन को रोकने ही हर संभव कोशिश कर रहा है। रिपोर्ट के अनुसार चीन सेमीकंडक्टर के डिजाइन और मैन्यूफैक्चरिंग मे भले की ताइवान से पीछे हो, मगर चिप वाली डिवाइसेज को बनाने में इसकी भागिदारी 35 प्रतिशत है। अभी सेमीकंडक्टर का हम चीन को नहीं बल्कि ताइवान को माना जाता है। सेमीकंडक्टर मार्केट शेयर का 63 प्रतिशत हिस्सा ताइवान का है।

आपको बता दें कि हालही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में कई फैसलों पर मुहर लगाई गई। केंद्र सरकार ने बृहस्पतिवार को 1.26 लाख करोड़ रुपये के अनुमानित निवेश के साथ गुजरात और असम में तीन सेमीकंडक्टर प्लांट लगाने के प्रस्तावों को मंजूरी दे दी।

भारत में टाटा को मिली ये जिम्मेदारी

टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स प्राइवेट लिमिटेड, ताइवान की पावरचिप सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कॉर्प (पीएसएमसी) के साथ साझेदारी में एक सेमीकंडक्टर लैब लगाएगी। इस प्लांट को गुजरात के धोलेरा में लगाया जाएगा। इसमें 91,000 करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा। टाटा सेमीकंडक्टर असेंबली एंड टेस्ट प्राइवेट लिमिटेड 27,000 करोड़ रुपये के निवेश से असम के मोरीगांव में एक सेमीकंडक्टर प्लांट लगाने वाली है।

सेमीकंडक्टर के जरिए माइक्रो चिप को तैयार किया जाता है। अगर चीन और ताइवान माइक्रोचिप देने से इनकार कर दें तो पूरी दुनिया में संकट आ जाएगा। पूरी दुनिया अभी चिप के लिए इन्हीं दो देशों पर निर्भर है।

ऐसे में मोदी सरकार द्वारा लिए गए इस बड़े निर्णय के बाद कई सारे देशों को फायदा पहुंच सकेगा। चीन को डर है कि भारत में चिप मैन्युफैक्चरिंग शुरू होने से दुनियाभर के देशों के पास भारत एक बड़े विकल्प के तौर पर सामने आ जाएगा।