जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए दिल दहला देने वाले आतंकी हमले के बाद पूरे देश में शोक और आक्रोश का माहौल है। इस हमले में 28निर्दोष पर्यटकों की क्रूर हत्या ने न केवल पूरे भारत को झकझोर कर रख दिया है, बल्कि सरकार को सख्त और ऐतिहासिक कदम उठाने के लिए भी प्रेरित किया है।
हमले के बाद गुरुवार को राजधानी दिल्ली के पार्लियामेंट एनेक्सी भवन में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में एक सर्वदलीय बैठक बुलाई गई, जिसमें सभी प्रमुख राजनीतिक दलों के नेता उपस्थित रहे। बैठक की शुरुआत दो मिनट के मौन के साथ की गई, जिसमें शहीदों और हमले में मारे गए निर्दोष नागरिकों को श्रद्धांजलि दी गई। गृह मंत्री अमित शाह, विदेश मंत्री एस. जयशंकर, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी समेत तमाम वरिष्ठ नेता इस बैठक में शामिल हुए।
सरकार ने इस हमले के बाद पाकिस्तान के प्रति कड़ा रुख अपनाया है। पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिए गए हैं और उन्हें 27 अप्रैल तक भारत छोड़ने का निर्देश दिया गया है। मेडिकल वीजा धारकों को 29 अप्रैल तक की मोहलत दी गई है। इसके अलावा, भारत ने 65 साल पुरानी सिंधु जल संधि को भी निलंबित कर दिया है — यह कदम दर्शाता है कि अब भारत केवल “नीति” से नहीं बल्कि “प्रभावी कार्रवाई” से जवाब देने के मूड में है।
विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तान सरकार के सोशल मीडिया हैंडल्स को भारत में प्रतिबंधित कर दिया है और भारतीय नागरिकों को पाकिस्तान यात्रा से बचने की सलाह दी है। भारत में पाकिस्तान के राजनयिकों को “पर्सोना नॉन ग्राटा” घोषित कर देश छोड़ने का आदेश दिया गया है। वहीं, अटारी बॉर्डर को भी अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया है।
इस आतंकी हमले के बाद भारतीय नौसेना ने INS सूरत से मिसाइल परीक्षण कर अपनी युद्ध तैयारियों का संकेत भी दिया है। सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी शुक्रवार को श्रीनगर पहुंचेंगे और सुरक्षा हालात की समीक्षा करेंगे।
जनता की प्रतिक्रिया और अंतरराष्ट्रीय समर्थन
देशभर में लोगों ने आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता दिखाई है। श्रीनगर और अन्य शहरों में काले झंडे लगाए गए हैं। असदुद्दीन ओवैसी ने अपील की कि लोग जुमे की नमाज के दौरान काली पट्टी बांधकर एकजुटता का संदेश दें। इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने हमले की निंदा करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फोन कर समर्थन व्यक्त किया।
यह हमला केवल कुछ व्यक्तियों पर नहीं, बल्कि भारत की संप्रभुता, अखंडता और शांतिप्रिय संस्कृति पर हमला है। यह समय भावनात्मक एकता के साथ-साथ राजनीतिक और कूटनीतिक दृढ़ता दिखाने का है, जो भारत ने बखूबी किया है। आतंक के आकाओं को यह स्पष्ट संदेश मिल गया है कि भारत अब “संयम की परंपरा” से “निर्णय की शक्ति” की ओर बढ़ चुका है।
पहलगाम की त्रासदी को भारत कभी नहीं भूलेगा, लेकिन यह दुख एक नई नीति की नींव भी रखेगा — “निरुत्तर हिंसा का उत्तर निर्णायक कार्रवाई है।”

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