भारत की प्राचीन धरोहरें अपने अद्वितीय इतिहास और स्थापत्य कला के लिए विश्वभर में जानी जाती हैं। इन्हीं धरोहरों में से एक है मध्यप्रदेश के मुरैना जिले में स्थित 64 योगिनी मंदिर, जो न केवल अपने रहस्यमय इतिहास के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि भारत के संसद भवन के डिज़ाइन की प्रेरणा भी रहा है। यह मंदिर अद्वितीय गोलाकार संरचना और धार्मिक महत्व के कारण देश-विदेश के पर्यटकों और शोधकर्ताओं को अपनी ओर आकर्षित करता है।
64 योगिनी मंदिर की सबसे खास बात इसकी गोलाकार संरचना है। इसका आंतरिक व्यास लगभग 125 फीट है और यह खंडित पत्थरों से निर्मित है। मंदिर का डिज़ाइन इतना अद्भुत है कि यही संरचना भारत के संसद भवन की नींव बना। भारतीय संसद भवन, जिसे सर एडविन लुटियंस और हर्बर्ट बेकर ने डिज़ाइन किया था, ने इस प्राचीन मंदिर की वास्तुकला से प्रेरणा ली। इस मंदिर को एकत्तरों महादेव के नाम से भी जाना जाता है।
मंदिर का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व
64 योगिनी मंदिर का निर्माण 9वीं-10वीं शताब्दी में कच्छपघाट वंश के शासकों द्वारा कराया गया था। यह मंदिर योगिनी उपासना का प्रमुख केंद्र था, जिसमें 64 योगिनियों की मूर्तियां स्थापित थीं। ये योगिनियां तंत्र विद्या और शक्ति की प्रतीक मानी जाती हैं। हालांकि समय के साथ कई मूर्तियां खंडित हो चुकी हैं, लेकिन उनका प्रभाव और ऊर्जा आज भी महसूस की जा सकती है।
रहस्यमय वातावरण
मंदिर का वातावरण रहस्यमय और आध्यात्मिकता से भरपूर है। यहां चारों ओर फैली शांति और प्रकृति की सुंदरता इसे ध्यान और साधना के लिए आदर्श स्थान बनाती है। कहा जाता है कि यहां योगिनियों की साधना से आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त होती है।
चढ़ाई और अद्भुत नज़ारे
मंदिर तक पहुँचने के लिए करीब 100 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। ऊँचाई पर स्थित यह मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यहाँ से दिखने वाला मुरैना का अद्भुत दृश्य भी देखने लायक है।
64 योगिनी मंदिर इस बात का जीता-जागता प्रमाण है कि भारत का प्राचीन स्थापत्य कितना समृद्ध और प्रभावशाली था। यह केवल धार्मिक स्थल ही नहीं, बल्कि भारतीय वास्तुकला के गौरवशाली अतीत की कहानी भी बयां करता है।
अगर आप इतिहास, रहस्य और वास्तुकला में रुचि रखते हैं, तो 64 योगिनी मंदिर आपकी सूची में सबसे ऊपर होना चाहिए। यहां का हर कोना आपको भारत की समृद्ध संस्कृति और उसकी असाधारण प्रतिभा का एहसास कराएगा।
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