Indian Navy Day 2024: हर साल 4 दिसंबर को भारतीय नौसेना दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन का इतिहास पाकिस्तान के कराची शहर से जुड़ा हुआ है, जहां 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में भारतीय नौसेना ने ऑपरेशन ट्राइडेंट के तहत दुश्मन पर साहसिक हमला कर विजय प्राप्त की थी।
नौसेना दिवस का इतिहास
4 दिसंबर 1971 को भारतीय नौसेना ने पाकिस्तान के कराची बंदरगाह पर हमला किया। यह पहली बार था जब किसी युद्ध में एंटी-शिप मिसाइल का इस्तेमाल किया गया।सात दिनों तक चले इस युद्ध में भारतीय नौसेना ने अपनी ताकत और रणनीति का प्रदर्शन करते हुए ऐतिहासिक जीत हासिल की। इस विजय के उपलक्ष्य में हर साल 4 दिसंबर को नौसेना दिवस मनाया जाता है।
भारतीय नौसेना से जुड़े तथ्य
- स्थापना: भारतीय नौसेना की शुरुआत ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा की गई थी। 1934 में इसे रॉयल इंडियन नेवी नाम दिया गया। आजादी के बाद 1950 में इसका पुनर्गठन कर इसे भारतीय नौसेना नाम दिया गया।
- प्रथम भारतीय नौसेना प्रमुख: वाइस एडमिरल रामदास कटारी 22 अप्रैल 1958 को पहले भारतीय नौसेना प्रमुख बने। उनके कार्यकाल में भारत का पहला विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत कमीशन किया गया।
- दुनिया में स्थान: भारतीय नौसेना का दुनिया की टॉप 10 नौसेनाओं में स्थान है और यह सातवें नंबर पर आती है।
- आधुनिक संरचना और उपलब्धियां: आईएनएस अरिहंत: भारत की पहली परमाणु पनडुब्बी, जो पानी के अंदर से हमला करने में सक्षम है। मार्कोस कमांडो: भारतीय नौसेना की विशेष बल इकाई, जिन्हें दुनिया के सबसे ताकतवर कमांडो में गिना जाता है। 26/11 के बाद तटीय सुरक्षा को मजबूत करने के लिए सागर प्रहरी बल का गठन किया गया।
- नौसेना अकादमी: केरल के कन्नूर जिले के एझिमाला में स्थित भारतीय नौसेना अकादमी, एशिया की सबसे बड़ी नौसेना अकादमी है।
- सामरिक महत्व: भारतीय नौसेना हिंद महासागर में शांति बनाए रखने, वैश्विक व्यापार मार्गों को सुरक्षित करने और अंतर्राष्ट्रीय समुद्री सहयोग को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
भारतीय नौसेना दिवस का महत्व
नौसेना दिवस देश के तटीय सुरक्षा अधिकारियों के साहस, समर्पण और बलिदान को सम्मानित करता है। यह उन नौसैनिकों को श्रद्धांजलि देने का अवसर है, जिन्होंने कठिन परिस्थितियों में देश की रक्षा की।
भारतीय नौसेना, अपनी शक्ति, रणनीति और समर्पण के लिए जानी जाती है। यह दिवस न केवल भारतीय नौसेना की उपलब्धियों को याद करने का दिन है, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा में उनके योगदान के प्रति आभार व्यक्त करने का भी प्रतीक है।
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