22 अप्रैल को हुए आतंकवादी हमले ने हिला दी घाटी
पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले को 6 दिन बीत चुके हैं, लेकिन उसका असर अब तक देशभर में देखा जा रहा है। इस हमले में 26 निर्दोष लोग मारे गए। अब इस हमले के दृश्य स्पष्ट होते जा रहे हैं, दो नए वीडियो सामने आए हैं, जिनमें हमले की भयावहता दर्ज है — एक में गोली लगने से एक युवक गिरता दिख रहा है, तो दूसरे में पर्यटक जान बचाने के लिए भागते नज़र आते हैं।
चीन ने दी प्रतिक्रिया, मांगी निष्पक्ष जांच
हमले पर चीन का बयान भी सामने आया है। बीजिंग ने कहा है कि वह इस आतंकवादी घटना की निष्पक्ष और पारदर्शी जांच की उम्मीद करता है। साथ ही चीन ने भारत और पाकिस्तान से अपील की है कि दोनों पड़ोसी देश आपसी मतभेदों को बातचीत से सुलझाएं, ताकि क्षेत्र में शांति बनी रहे।
आवागमन पर असर: भारत-पाक के नागरिक लौटे
इस हमले के बाद भारत सरकार ने पाकिस्तान में मौजूद भारतीय नागरिकों को अपनी यात्रा शीघ्र समाप्त करने का परामर्श जारी किया था।
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अब तक 1000 भारतीय नागरिक वाघा बॉर्डर से वापस लौट चुके हैं।
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दूसरी ओर, भारत में रह रहे 800 पाकिस्तानी नागरिकों को देश छोड़ने को कहा गया, जो 28 अप्रैल तक लौट चुके हैं।
मीडिया पर भी कार्रवाई: सरकार का सख्त रुख
सरकार ने भारत विरोधी और भ्रामक रिपोर्टिंग के खिलाफ सख्त कदम उठाए हैं।
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17 पाकिस्तानी यूट्यूब चैनल्स पर बैन लगाया गया है, जिनमें शोएब अख्तर, डॉन न्यूज, समा टीवी जैसे नाम शामिल हैं।
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BBC को चेतावनी दी गई है कि वह “आतंकवादी” शब्द की जगह “उग्रवादी” शब्द का इस्तेमाल न करे।
जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा अभियान तेज
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पुलिस ने 15 स्थानों पर छापेमारी की है।
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यह छापे उन आतंकियों के संभावित ठिकानों पर डाले गए, जो पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) से हमलों को अंजाम देते हैं।
संसद सत्र की मांग
RJD और CPI जैसे दलों ने संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग की है।
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RJD सांसद मनोज झा ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर कहा कि “यह राष्ट्रीय आपदा है, संसद को इसका संज्ञान लेना चाहिए।”
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उन्होंने यह भी मांग की कि शहीदों को संसद में श्रद्धांजलि दी जाए और सरकार देश को भरोसे में ले।
तस्वीरों में पहलगाम और श्रीनगर की सुरक्षा स्थिति
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बैसरन घाटी और डल झील पर अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात हैं।
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पर्यटक इलाकों और बाजारों में निगरानी बढ़ा दी गई है।
यह हमला केवल एक स्थान पर हुआ हिंसा नहीं, बल्कि हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा व्यवस्था पर सीधा आघात है।
सरकार की प्रतिक्रियाएं त्वरित और सख्त रही हैं — जो आवश्यक भी थीं। लेकिन यह भी उतना ही जरूरी है कि हर कदम संविधान और अंतरराष्ट्रीय मूल्यों की सीमाओं में लिया जाए।
चीन जैसे देश का बयान कूटनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है, लेकिन भारत को अपनी सुरक्षा के मामलों में आत्मनिर्भर और निर्णायक बने रहना चाहिए।

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