दुनिया का ध्यान अब भारत की ओर तेजी से खिंच रहा है — लेकिन इस बार तकनीक या अंतरिक्ष की वजह से नहीं, बल्कि हथियारों के बाज़ार में भारत की मजबूत होती पकड़ के कारण। भारत अब सिर्फ हथियार खरीदने वाला देश नहीं रहा, बल्कि सस्ते कर्ज़ की पेशकश कर, विकासशील देशों को अपने बनाए हथियार बेचने वाला एक उभरता हुआ खिलाड़ी बन गया है।
कर्ज़ भी, कूटनीति भी भारत ने ब्राज़ील, अर्जेंटीना समेत 20 से अधिक देशों को सस्ते कर्ज़ पर अपने रक्षा उपकरण भेजे हैं। ये सिर्फ आर्थिक सौदे नहीं, बल्कि कूटनीतिक चालें भी हैं। भारत अपने ‘डिफेंस एक्सपोर्ट डिप्लोमेसी’ के ज़रिए एक ऐसा नेटवर्क बना रहा है, जिससे उसकी वैश्विक स्थिति और प्रभावशाली होता जा रहा है।
रूस-यूक्रेन युद्ध ने खोला रास्ता
रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध ने वैश्विक हथियार आपूर्ति श्रृंखला को बाधित कर दिया है। इस मौके को भारत ने भुनाया है। जहां पश्चिमी देश और रूस युद्ध में उलझे हैं, वहीं भारत ने शांतिपूर्ण और सस्ते विकल्प के रूप में अपनी स्थिति मजबूत की है।
‘मेक इन इंडिया’ से ‘सेल इन वर्ल्ड’ तक ‘मेक इन इंडिया’ अब केवल एक नारा नहीं, बल्कि एक वास्तविकता बन गया है। भारत में बने हथियार अब दुनिया भर में बेचे जा रहे हैं। ये डील्स न केवल भारतीय रक्षा उद्योग को बढ़ावा दे रही हैं, बल्कि रोजगार और विदेशी मुद्रा भंडार को भी मजबूत कर रही हैं।
भविष्य की तस्वीर अगर भारत इसी रणनीति पर आगे बढ़ता रहा, तो आने वाले वर्षों में वह न केवल रक्षा निर्यात में बड़ी शक्ति बनेगा, बल्कि वैश्विक कूटनीतिक समीकरणों को भी बदलने की क्षमता रखेगा !
क्या भारत की ये नई रक्षा रणनीति दुनिया में उसका प्रभाव बढ़ाएगी या इससे नई चुनौतियाँ भी सामने आएंगी.? या फिर भारत को इस राह पर और तेज़ी से आगे बढ़ना चाहिए.?

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