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Friday, March 14   12:49:08

स्वतंत्र विचार बनाम राजनीतिक विरोध – कौन सही, कौन गलत?

केरल के तिरुवनंतपुरम जिले के नेय्याट्टिनकारा में बुधवार शाम महात्मा गांधी के परपोते तुषार गांधी के एक बयान के बाद तनावपूर्ण स्थिति उत्पन्न हो गई। तुषार गांधी गांधीवादी नेता गोपीनाथन नायर की प्रतिमा के अनावरण के लिए वहां पहुंचे थे। अपने संबोधन में उन्होंने कहा, “देश की आत्मा कैंसर से पीड़ित है और संघ परिवार इसे फैला रहा है।”

इस बयान के बाद, आरएसएस और बीजेपी कार्यकर्ताओं ने तुषार गांधी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया और उनसे माफी की मांग की। हालांकि, तुषार गांधी अपने बयान पर कायम रहे और ‘गांधी की जय’ के नारे लगाए। विरोध के दौरान कार्यकर्ताओं ने उनकी गाड़ी को रोकने की भी कोशिश की, लेकिन तुषार गांधी ने ‘आरएसएस मुर्दाबाद’ और ‘गांधी जिंदाबाद’ के नारे लगाते हुए वहां से प्रस्थान किया।

इस घटना की कांग्रेस ने कड़ी निंदा की है। केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के. सुधाकरन ने कहा कि यह केरल के धर्मनिरपेक्ष मूल्यों का अपमान है और बीजेपी-आरएसएस पर ‘गोडसे के भूत’ का साया होने का आरोप लगाया। उन्होंने सत्तारूढ़ सीपीएम की चुप्पी पर भी सवाल उठाए और स्पष्टता की मांग की कि क्या पार्टी बीजेपी को फासीवादी ताकत मानती है।

विपक्ष के नेता वी.डी. सतीसन ने तुषार गांधी की गाड़ी को रोकने को महात्मा गांधी का अपमान बताया और कहा कि यह घटना पूरे राज्य के लिए अपमानजनक है। सीपीआई के राज्य सचिव बिनॉय विश्वम ने इस घटना को अक्षम्य अपराध करार दिया और कहा कि इस घटना ने एक बार फिर संघ परिवार को बेनकाब कर दिया है।

यह घटना केरल में राजनीतिक और सामाजिक हलकों में व्यापक चर्चा का विषय बन गई है, जिसमें विभिन्न दलों और संगठनों ने अपनी-अपनी प्रतिक्रियाएँ व्यक्त की हैं।

“क्या राजनीतिक और वैचारिक मतभेदों के कारण विरोध प्रदर्शन का यह तरीका लोकतांत्रिक मूल्यों के अनुकूल है?”