भारत में पहलवानी का इतिहास बेहद समृद्ध और गौरवशाली रहा है। चाहे पारंपरिक अखाड़े हों या आधुनिक कुश्ती मुकाबले, भारतीय पहलवानों ने हमेशा राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई है। हालांकि, आज इस खेल के भविष्य को लेकर कई चुनौतियां उत्पन्न हो रही हैं, खासकर आर्थिक हालात, संसाधनों की कमी और युवाओं के बीच फैलती गलत दिशा।
इस पर कोई दो राय नहीं कि हमारे देश में प्रतिभाओं की कमी नहीं है, लेकिन कभी-कभी आर्थिक हालात और पिछड़ापन प्रतिभा का गला घोंट देती है। जहां एक ओर भारतीय कुश्ती का अतीत काफी सुनहरा रहा है। ‘दारा सिंह’ जैसे पहलवानों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का नाम रोशन किया। वहीं पूर्वांचल के कुछ ऐसे भी पहलवान हैं जो खुद तो आगे बढ़ ही रहे हैं और साथ ही साथ अपने पूर्वांचल का भी नाम रोशन कर रहे हैं। कुछ दिन पहले ही VNMTV के फाउंडर नफीस खान सर और फोटोग्राफर मनीष चौहान ने उत्तर प्रदेश के वाराणसी का दौरा किया, जहां उनकी मुलाकात मुकेश यादव उर्फ मुन्ना पहलवान से हुई और इनकी कहानी सुनकर पूर्वांचल की प्रतिभाएं किस तरह संघर्ष कर रही है इसका पता चला।
PC- Manish Chauhan
पूर्वांचल के प्रसिद्ध पहलवान, मुकेश यादव उर्फ मुन्ना पहलवान, यूपी केसरी और इंडिया गोल्ड मेडलिस्ट हैं, बताते हैं कि आज के समय में पहलवानों को कुश्ती के सही मूल्यों और कठिन परिश्रम से भटकाने वाले नए खतरे सामने आ रहे हैं।
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पूर्वांचल में कुश्ती की चुनौतियां
मुन्ना यादव बताते हैं कि पूर्वांचल में अच्छे पहलवान आज इस लाइन से हटते जा रहे हैं। यहां गुरु शिष्य की परंपरा आज ना के बराबर हो गई है। वे अपने से छोटों को इस कड़ी में बांधने में नाकामियाब साबित हो रहा है। इसके अलावा यहां काम्पटिशन की भी कमी है। उदाहरण के तौर पर यदि आप हरियाणा और पंजाब को देखें तो इन राज्यों में हर दिन दंगल का आयोजन देखने को मिलता है। वहां के पूंजी पति एक-एक दिन में 15 से 20 लाख रुपये वहां खर्च करते हैं। यदि पूर्वांचल से कोई पहलवान वहां जाकर कुश्ती लड़ते हैं तो एक दिन में उन्हें 40 से 50 हजार रुपये मिलते हैं। इसके सामने यदि आप पूर्वांचल की बात करें तो यदि आप यहां पूरा महिना भी लड़ लें तो आप 50 हजार यहां नहीं कमा पाएंगे।
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स्पोर्ट्स कोटा में बदलाव
स्पोट्स कोटा से नौकरी को लेकर मुन्ना यादव बताते हैं कि पहले पूर्वांचल में आपका यूपी से गोल्ड आता था तो आप रेलवे में पुलिस में किसी भी विभाग में जा सकते थे। लेकिन, अब सरकार ने ये व्यवस्था बदल दी है। अब यूपी मेडल का कोई महत्व नहीं है। अब नौकरी के लिए नेशनल लेवल का मेडल जरूरी हो गया है। और नेशनल मेडल के लिए किसी भी पहलवान को एक महिने के लिए 50 हजार रुपये चाहिए। और ये सिर्फ एक नहीं बल्कि किसी भी कैटेगरी के लिए चाहे वह 55 किलो वाली कैटेगरी का हो या 70 किलो का हो। क्योंकि इसमें महनत ज्यादा लगती है। 5 से 6 घंटे तक प्रेक्टिस करनी पड़ती है सुबह 3 घंटा, शाम को 3 घंटा प्रेक्टिस करके उसे अपनी शरीर की सारी एनर्जी निकालनी पड़ती है। उसकी रिकवरी के लिए उसे प्रोटीन चाहिए बादाम चाहिए, फल फूल, जो शाकाहारी है उन्हें वैसी डाइट और जो मांसाहारी हैं उन्हें वैसी डाइट फॉलो करनी पड़ती है।
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सोशल मीडिया पर गलत कुश्ती का प्रचार
दूसरी बात ये कि बहुत लोगों को नहीं पता है कि सुशील कुमार, नरसिंह पहलवान, साक्षी मलिक, दिनेश फोगाट ये हमारे देश के हीरे हैं। वहीं सोशल मीडिया पर एक थापा पहलवान हैं जो मिली हुई कुश्ती लड़ रहा है। वह अपने साथ बहुत सारे लोगों को लेकर चलता है। वो जनता के बीच में अपने आदमियों को खड़ा कर देता है और उनको सब के सामने बुलाकर लड़ता है। और वो वीडियो वह यूट्यूब पर डालता है। और लोग उसे पसंद भी कर रहे हैं लोगों को पता नहीं चल रहा है कि यह क्या हो रहा है। जनता भोली है, वह यह नहीं समझ पा रही है। जनता सही कुश्ती नहीं जान पा रही है। वहीं जो गलत तरीके से कुश्ती कर रहे हैं वहीं लोग ज्यादा वीडियो डाल रहे हैं।
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पूर्वांचल में कुश्ती में अपनी अलग पहचान बनाने वाले मुन्ना पहलवान कहते हैं कि यह सब गलत है। वह इस प्रकार की मिली हुई कुश्ती का विरोध करते हैं। इसका परिणाम यह है कि यदि आप एक बार मिली हुई कुश्ती कर लेते हैं तो आप अपने जीवन में कभी काठा कुश्ती नहीं लड़ेगे। काठा कुश्ती लड़ने के लिए जो अंदर से हिम्मत चाहिए वो मिली हुई कुश्ती खेलने से खत्म हो जाती है। और हमारा यूथ पैसे के चक्कर में मिली हुई कुश्ती लड़ने की ओर बढ़ रहा है। इससे एक समय ऐसा आएगा कि उनके पास विल पावर खत्म हो जाएगा।
पहलवानों की सही दिशा में मार्गदर्शन की जरूरत
मुन्ना पहलवान का मानना है कि आज का यूथ गलत डायरेक्शन में जा रहे हैं। जो पहलवानी करते हैं वो हमारी बात समझ सकते हैं। यदि कोई बड़े पहलवान भी होंगे तो वो भी मिली जुली कुश्ती को कभी सपोर्ट नहीं करेंगे। हमें हिन्दुस्तान से ये मिली हुई कुश्ती को हटाना है। मिली हुई कुश्ती से दूर रहकर कड़ी मेहनत और सही ट्रेनिंग ही पहलवानों का भविष्य उज्जवल बना सकती है।
(मुकेश यादव उर्फ मुन्ना पहलवान की ये तस्वीरें जाने माने फोटोग्राफर मनीष चौहान द्वारा ली गई हैं।)
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