रमज़ान, इस्लाम धर्म में पवित्रता और आत्म-संयम का महीना है, जिसमें मुसलमान सूर्योदय से सूर्यास्त तक उपवास रखते हैं। इफ्तार, यानी रोज़ा खोलने का समय, विशेष महत्व रखता है, और खजूर से रोज़ा खोलना एक प्राचीन परंपरा है। आइए जानते हैं, क्यों खजूर को इफ्तार के लिए चुना गया और इसके पीछे का इतिहास और स्वास्थ्य लाभ क्या हैं।
पैगंबर मुहम्मद की परंपरा
इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार, पैगंबर हजरत मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) इफ्तार के समय ताज़ा खजूर से रोज़ा खोलते थे। यदि ताज़ा खजूर उपलब्ध नहीं होते थे, तो सूखे खजूर या पानी से इफ्तार करते थे। यह प्रथा सुन्नत मानी जाती है, यानी पैगंबर की परंपरा का पालन करना।
खजूर का धार्मिक महत्व
खजूर का उल्लेख कुरआन में कई बार किया गया है, जिससे इसका धार्मिक महत्व स्पष्ट होता है। उदाहरण के लिए, सूरह मरियम में मरियम (अलैहि सलाम) को प्रसव के समय खजूर खाने की सलाह दी गई थी। इस प्रकार, खजूर इस्लाम में एक पवित्र और महत्वपूर्ण फल माना जाता है।
खजूर के स्वास्थ्य लाभ
खजूर में प्राकृतिक शर्करा होती है, जो दिनभर के उपवास के बाद तुरंत ऊर्जा प्रदान करती है। इसमें पोटेशियम, मैग्नीशियम, फाइबर, और विटामिन जैसे पोषक तत्व होते हैं, जो पाचन में मदद करते हैं और शरीर को आवश्यक पोषण देते हैं। इसके अलावा, खजूर पाचन तंत्र को सक्रिय करता है, जिससे इफ्तार के बाद अन्य भोजन को पचाने में आसानी होती है।
रेगिस्तानी क्षेत्रों में खजूर की उपलब्धता
मक्का और मदीना जैसे रेगिस्तानी क्षेत्रों में खजूर प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होते हैं। पैगंबर मुहम्मद का अधिकांश जीवन इन क्षेत्रों में बीता, जहां खजूर मुख्य खाद्य पदार्थों में से एक था। इसलिए, खजूर से इफ्तार करना उस समय की सांस्कृतिक और भौगोलिक परिस्थितियों के अनुसार भी उपयुक्त था।
रमज़ान में खजूर से रोज़ा खोलना धार्मिक परंपरा, स्वास्थ्य लाभ, और सांस्कृतिक महत्व का संगम है। यह प्रथा न केवल पैगंबर मुहम्मद की सुन्नत का पालन है, बल्कि उपवास के बाद शरीर को आवश्यक ऊर्जा और पोषण भी प्रदान करती है। आज भी, दुनिया भर के मुसलमान इस परंपरा का पालन करते हुए रमज़ान के आध्यात्मिक और शारीरिक लाभों का अनुभव करते हैं।

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