पहले तीन लेखों से हमने यह जाना की ऑटिज्म एक विकासात्मक विकार है, जो जीवन के पहले तीन वर्षों के दौरान दिखाई देता हैं। इस में बच्चो को सामाजिक संपर्क, मौखिक और अशब्दिक संचार में कठिनाई होती हैं।
ऑटिज्म मे थेरेपी को शामिल करके बच्चो के सामाजिक और भावनात्मक कौशल में सुधारा जा सकता हैं।
आगे के इस लेख से हम यह जानेगें की आहार और पोषण ऑटिस्टिक बच्चो के विकार की स्थिति को नियंत्रित करने मे कैसे सहायक होते हैं।
खाद्य पदार्थो में कुछ पदार्थ एसे है जो ऑटिज्म की समस्या को बढाते है, और कुछ एसे है जो कि ऑटिज्म की परेशानी को कम करते हैं।
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ऑटिस्टिक बच्चो में खाद्य पदार्थ जो समस्याऍ पैदा कर सकते हैं-
१. उच्च चीनी वाले पदार्थ,
२. दूध और अन्य डेयरी उत्पाद जैसे पनीर, दही,आइसक्रीम आदि,
३.गेंहू के उत्पाद,
४.स्नेक्स जैसे चिप्स, कुकीज आदि।
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* ऑटिस्टिक बच्चे ग्लूटेन (गेंहू, जौं) और कैसिन (दूध और डेयरी उत्पाद) वाले खाद्य पदार्थो को आसानी से पचा नही सकते हैं। इन बच्चो के लिए बाजरा, ज्वार, रागी, चावल का चयन करना चाहिए और डेयरी उत्पादो की जगह सोया या बादाम के दूध का उपयोग करना चाहिए।
• विटामिन डी और ओमेगा-३ फैटी एसिड उचित मात्रा में लेने से ऑटिज्म के लक्षणो मे सुधार ला सकते हैं। इन पोषक तत्वो को अपने दैनिक आहार मे लेने के लिए अखरोट, चिया सीड्स, अलसी के बीज, सोया बिन्स आदि खाद्य पदार्थ का उपयोग कर सकते हैं।
* विटामिन सी और जिंक खाद्य पदार्थो का उपयोग करे जो संतरे, नींबू, किवी, टमाटर, पपीता, ब्रोकोली, अंडे, साबुत अनाज से मिल सकते है।
* ऑटिस्टिक बच्चो की दिनचर्या को स्वस्थ बनाने की कोशिश करे।
ऑटिस्टिक बच्चो के लिए एक नियमित कार्यक्रम का पालन करे जैसे भोजन, पढ़ाई, सोने और खेलने का समय निर्धारित करे।
* ऑटिस्टिक बच्चो की फूड एलर्जी को जानने के बाद ही उनके आहार मे खाद्य पदार्थ को शामिल करे।
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सबसे महत्व कि बात यह है कि बच्चे के द्वारा दिखाई गए लक्षणो और व्यवहार का निरिक्षण जरूर करे जिससे आगे किस तरह का आहार, दिनचर्या मे सुधार करना हो वह पता चल सकें।
Very Informative.