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Father’s Day 2024: कभी अभिमान तो कभी स्वाभिमान है, आप ही मेरी पहचान है पापा, जानें इस दिन का महत्व

कभी अभिमान तो कभी स्वाभिमान है,
कभी धरती तो कभी आसमान है पिता।
माँ अगर पैरों पे चलना सिखाती है,
तो पैरों पे खड़ा होना सिखाता है पिता ।
कभी बुढ़ापा तो कभी जवानी है ,
कभी ना भूल पाऊंगा वो कहानी है पिता ।

एक बच्चे के लिए उसकी मां जितनी प्रिय होती है, ठीक उसी तरह एक पिता भी अपने बच्चे के बेहद करीब होते है। बच्चों को हर साल फादर्स डे का बेस्रबी से इंतजार रहता है।

परिवार का मुखिया होने की वजह से हर पिता के कंधे पर घर से लेकर बच्चे तक की जिम्मेदारियां आ जाती है। मां भले ही दिन भर घर पर रह कर बच्चे की देखभाल करती है, लेकिन उसकी जिंदगी में एक पिता की भूमिका ही अलग होती है। एक पिता अपने बच्चों को बचपन से बेहतर जीवन, परवरिश, पढ़ाई-लिखाई, देने के लिए दिन-रात मेहनत करते हैं। ऐसे में हर बच्चे की रिस्पोन्सब्लिलटी है कि वो भी अपने पाप की हर बात को सुनें, समझें और अपनी जिंदगी में ढालें। साथ ही फादर्स डे को अपने पापा के लिए स्पेशल बनाकर ये अहसास कराएं कि आप उन्हें कितना चाहते हैं।

जून महीने के तीसरे रविवार को फादर्स डे के तौर पर मनाया जाता है। इस बार फॉदर्स डे 16 जून को सेलिब्रेट किया जा रहा है। इस दिन की शुरुआत तो अमेरिका से हुई थी, लेकिन आज फादर्स डे दुनियाभर के तमाम देशों में मनाया जाता है। पिता के लिए इस दिन को स्‍पेशल बनाने के लिए लोग काफी पहले से तैयारियां शुरू कर देते हैं. लेकिन क्‍या आप जानते हैं कि इस दिन को मनाने की शुरुआत कैसे हुई? इसके पीछे एक बेटी का प्रेम, पिता के लिए सम्‍मान और उसकी जिद की दिलचस्‍प कहानी है। आइए आपको बताते हैं कैसे हुई फादर्स डे को मनाने की शुरुआत-

कहा जाता है कि फादर्स डे को मनाने की शुरुआत साल 1910 में की गई थी. वॉशिंगटन की रहने वाली एक महिला सोनोरा स्मार्ट डॉड ने फादर्स डे को पहली बार सेलिब्रेट किया था. सुनोरा की मां नहीं थीं. वे अपने पिता की इकलौती बेटी थीं. उनसे छोटे उनके भाई थे. बच्‍चों के भविष्‍य को बेहतर बनाने के लिए उनके पिता ने ही मां और बाप दोनों के रोल निभाए थे. साल 1909 की बात है, एक दिन वो चर्च गईं थीं. वहां उन्‍होंने मदर्स डे के बारे में उपदेश सुनते हुए, सोनोरा ने महसूस किया कि जिस तरह दुनिया में मदर्स डे मनाकर मातृत्‍व का महत्‍व समझाया जा रहा है, उसी तरह पितृत्व को भी मानने और समझने की जरूरत है. इसके बाद उन्‍होंने फादर्स डे को सेलिब्रेट करने का फैसला किया.

सुनोरा के पिता का जन्‍मदिन जून के महीने में मनाया जाता था, इसलिए उन्‍होंने भी इस दिन को जून में ही मनाने का फैसला किया. सोनोरा ने इस दिन को जून के महीने में मनाए जाने के लिए एक याचिका दायर की और इस याचिका के लिए चर्च के सदस्‍यों को मनाकर दो लोगों से हस्‍ताक्षर कराए. लेकिन उनकी याचिका को मंजूरी नहीं मिली. लेकिन सोनोरा ने फादर्स डे को सेलिब्रेट करने का ठान लिया था. उन्‍होंने इसके लिए एक कैंपेन भी शुरू की और 19 जून 1910 को पहली बार फादर्स डे मनाया.

धीरे-धीरे सुनोरा को देखकर दूसरे लोगों को भी प्रेरणा मिली और उन्‍होंने भी फादर्स डे को मनाना शुरू कर दिया और इसका चलन बढ़ने लगा. साल 1916 में अमेरिकी राष्ट्रपति वुडरो विल्सन ने फादर्स डे को मनाने के सुझाव को हरी झंडी दे दी. साल 1966 में राष्ट्रपति लिंडन जॉनसन ने इस दिन को जून के तीसरे रविवार को मनाए जाने की आधिकारिक घोषणा की. तब से हर साल जून के तीसरे रविवार को फादर्स डे मनाया जाता है.