पहलगाम के कायराना आतंकी हमले का भारत ने ऐसा करारा जवाब दिया कि दुश्मन के होश उड़ गए। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के नौ आतंकी ठिकानों को धूल में मिला दिया। इस सफल ऑपरेशन की ब्रीफिंग जब कर्नल सोफिया कुरैशी ने की, तो हर भारतीय का सीना गर्व से चौड़ा हो गया। कर्नल सोफिया और विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने अपनी दमदार उपस्थिति से देश की नारी शक्ति और सैन्य पराक्रम का लोहा मनवाया।
दिल्ली से दूर, गुजरात के वडोदरा में बैठी कर्नल सोफिया के पिता, ताज मोहम्मद की खुशी का ठिकाना नहीं था। अपनी बेटी को देश के लिए पराक्रम करते देख उनकी आंखें नम हो गईं। एएनआई से बात करते हुए ताज मोहम्मद ने अपनी बेटी के जीवन के अनछुए पहलुओं को साझा किया। उन्होंने गर्व से कहा कि उनकी बेटी ने देश के लिए जो किया है, उस पर उन्हें बेहद फख्र है l
लेकिन कर्नल सोफिया के पिता के भीतर सिर्फ गर्व ही नहीं, बल्कि देशप्रेम का एक अटूट सागर भी हिलोरे मार रहा था। बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के योद्धा रहे ताज मोहम्मद ने अपने जज्बात का इज़हार करते हुए कहा, “अगर आज मुझे मौका मिले, तो मैं खुद जाकर उनको (पाकिस्तान) खत्म कर दूंगा। पाकिस्तान दुनिया में रहने लायक देश नहीं है।” उनके इन शब्दों में बरसों का गुस्सा और देश के लिए मर मिटने का जज़्बा साफ़ झलक रहा था।
ताज मोहम्मद ने बताया कि सेना में जाना उनके परिवार की पुरानी परंपरा है। उनके पिता और दादा भी सेना में थे और अब उनकी बेटी सोफिया इस विरासत को आगे बढ़ा रही हैं। उन्होंने कहा कि उनका परिवार हमेशा देश को पहले रखता है और उनकी सोच हमेशा ‘वयम् राष्ट्रे जाग्रयाम’ (हम राष्ट्र के लिए जागृत रहें) की रही है। “हम पहले भारतीय हैं, फिर कुछ और,” उन्होंने दृढ़ता से कहा।
यह जानकर दिलचस्प है कि कर्नल सोफिया कभी सेना में नहीं, बल्कि एक प्रोफेसर के रूप में अपना करियर बनाना चाहती थीं। उन्होंने बायोकैमिस्ट्री में एमएससी किया था और पीएचडी की पढ़ाई लगभग पूरी कर ली थी। यहां तक कि उन्होंने वडोदरा के एमएस विश्वविद्यालय में असिस्टेंट लेक्चरर के तौर पर पढ़ाना भी शुरू कर दिया था। लेकिन देशप्रेम की प्रबल भावना ने उन्हें सेना की वर्दी पहनने के लिए खींच लिया।
कर्नल सोफिया के भाई, संजय कुरैशी ने बताया कि उनके दादा और पिता की तरह उनकी बहन ने भी देशसेवा का मार्ग चुना। उन्होंने बताया कि सोफिया ने अपनी पढ़ाई छोड़कर शॉर्ट सर्विस कमीशन (एसएससी) के जरिए सेना में शामिल होने का फैसला किया। अब तो उनकी अगली पीढ़ी भी उनसे प्रेरित हो रही है। संजय ने बताया कि उनकी बेटी जारा भी अपनी बुआ की तरह सेना में जाने का सपना देखती है और अभी से कहती है कि उसे आर्मी ज्वाइन करनी है।
कर्नल सोफिया ने अपनी मेहनत और काबिलियत के दम पर सेना में एक खास पहचान बनाई है। 1997 में मास्टर्स करने के बाद वह सेना के सिग्नल कोर में शामिल हुईं। 2016 में उन्होंने इतिहास रच दिया, जब उन्होंने ‘फोर्स 18’ नामक बहुराष्ट्रीय सैन्य अभ्यास में भारतीय सैन्य दल की कमान संभाली। ऐसा करने वाली वह पहली महिला अधिकारी थीं। इससे पहले, 2006 में वह संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन के तहत कांगो में भी अपनी सेवाएं दे चुकी हैं।
कर्नल सोफिया कुरैशी और उनके पिता ताज मोहम्मद की कहानी देशभक्ति, दृढ़ संकल्प और पारिवारिक मूल्यों की एक प्रेरणादायक गाथा है। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सफलता ने न सिर्फ पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दिया है, बल्कि कर्नल सोफिया जैसी वीरांगनाओं ने देश की युवा पीढ़ी के लिए एक नया आदर्श भी स्थापित किया है।

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