Snakehead Fish: वर्तमान में हमारी पृथ्वी पर कई ऐसी जानवरों और पौधों की प्रजातियां हैं जो आज विलुप्ति की कगार पर आ गई हैं, उनमें से तो बहुत सी ऐसी भी है जो इस धरती से गायब ही हो गई है। विलुप्ती का मतलब है कि किसी विशेष प्रजाति के सभी सदस्यों का नष्ट हो जाना। ऐसी ही एक मछली की प्रजाति है Snakehead (स्नेकहेड्स) जो अब विलुप्ति की कगार पर हैं। लेकिन, हालही में पश्चिम बंगाल के मालदा शहर के एक तालाब में स्नेकहेड मछली को देखा गया। माना जा रहा है कि इस तालाब में आज भी उनकी प्रजातियां बची हुई हैं।
स्नेकहेड्स (Snakehead) मछली आकार में बहुत बड़ी थी और इसके शरीर पर गहरे काले रंग की धारियां थीं। यह मछली क्षेत्र में आमतौर पर नहीं पाई जाती है। इस मछली को गोझर के नाम से भी जाना जाता है, जो आमतौर पर बांग्लादेश में पाई जाती है। इसे मालदा के सागरदिघी मछली प्रजनन केंद्र में पाया गया था। इस मछली का वजन लगभग 10 किलो था। सागरदिघी मछली प्रजनन केंद्र में विभिन्न प्रजातियों की मछलियाँ पाई जाती हैं, लेकिन इतनी बड़ी मछलियाँ यहाँ दुर्लभ होती हैं। इस प्रजाति की छोटी मछलियाँ यहाँ कभी-कभी पाई जाती हैं।
चन्ना मारुलियस या बुल्सआई स्नेकहेड को 2009 में IUCN रेड लिस्ट में खतरे की प्रजाति के रूप में दर्ज किया गया है। इन मछलियों की पीठ और गुदा के पंख लंबे होते हैं, और इनमें कोई कांटे या रेशे नहीं होते। ये मछलियाँ ज्यादातर दक्षिण पूर्व एशिया में पाई जाती हैं। ये मछलियाँ बहुत अनुकूलनीय होती हैं और विभिन्न प्रकार की जल परिस्थितियों को सहन कर सकती हैं। इन मछलियों की आयु कई कारकों जैसे पर्यावरणीय परिस्थितियों और मछली पकड़ने के दबाव पर निर्भर करती है। अपने प्राकृतिक आवास में इनका जीवनकाल आमतौर पर 10 से 15 वर्षों तक होता है।
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