झारखंड की राजनीति के लिए आज बहुत बड़ा दिन साबित हो सकता है। आज विधानसभा में चंपाई सोरेन सरकार फ्लोर टेस्ट का सामना करेगी। इस टेस्ट के बाद आज राज्य सरकार का भविष्य क्या होगा ये भी तय हो जाएगा। इससे पहले 31 जनवरी को हेमंत सोरेन ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद विधायक दल की बैठक में चंपाई सोरेन को मुख्यमंत्री बनाने का फैसला लिया गया था। आपको बता दें कि फ्लोर टेस्ट एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके माध्यम से विधानसभा में सरकार बहुमत साबित करती है।
यह लोकतंत्र की एक महत्वपूर्ण कसौटी है क्योंकि यह सरकार की जवाबदेही सुनिश्चित करता है और विधायकों को सरकार के कामकाज पर नजर रखने और यदि आवश्यक हो तो उसे हटाने का अधिकार देता है।
फ्लोर टेस्ट कब होता है?
विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव लाता है: यदि विपक्ष को लगता है कि सरकार ने बहुमत खो दिया है, तो वे विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव ला सकते हैं। यदि अविश्वास प्रस्ताव पारित हो जाता है, तो सरकार को इस्तीफा देना पड़ता है।
राज्यपाल मुख्यमंत्री को सदन में बहुमत साबित करने के लिए कहता है: यदि राज्यपाल को लगता है कि सरकार ने बहुमत खो दिया है, तो वे मुख्यमंत्री को सदन में बहुमत साबित करने के लिए कह सकते हैं।
नई सरकार बनने के बाद: जब भी कोई नई सरकार बनती है, उसे सदन में बहुमत साबित करना होता है।
किसी विधायक का दल बदलने पर: यदि कोई विधायक दल बदलता है, तो सरकार को सदन में बहुमत साबित करना पड़ सकता है।
फ्लोर टेस्ट की प्रक्रिया:
विधानसभा अध्यक्ष ध्वनिमत से सरकार के पक्ष और विपक्ष में समर्थन जानने का प्रयास करते हैं।
इसके बाद कोरम बेल बजती है और विधायकों को पक्ष और विपक्ष में बंटने के लिए कहा जाता है।
इसके बाद पक्ष और विपक्ष के समर्थन विधायकों की संख्या की गिनती की जाती है।
अंत में, विधानसभा अध्यक्ष परिणाम घोषित करते हैं।
यदि सरकार बहुमत साबित करती है, तो वह सत्ता में बनी रहती है।
यदि सरकार बहुमत साबित नहीं कर पाती है, तो उसे इस्तीफा देना पड़ता है।
फ्लोर टेस्ट के महत्वपूर्ण उदाहरण
1990 में, वी.पी. सिंह सरकार ने अविश्वास प्रस्ताव के बाद फ्लोर टेस्ट जीता था।
2018 में, एम.के. स्टालिन सरकार ने फ्लोर टेस्ट जीता था।
2022 में, भगवंत मान सरकार ने फ्लोर टेस्ट जीता था।
फ्लोर टेस्ट के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें:
फ्लोर टेस्ट विधानसभा में होता है, लोकसभा में नहीं।
फ्लोर टेस्ट गुप्त मतदान द्वारा नहीं, बल्कि खुले मतदान द्वारा होता है।
फ्लोर टेस्ट में भाग लेना सभी विधायकों के लिए अनिवार्य है।
यदि कोई विधायक फ्लोर टेस्ट में भाग नहीं लेता है, तो उसे दल बदल कानून के तहत दलबदलू माना जा सकता है।
फ्लोर टेस्ट लोकतंत्र में एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है।
यह सरकार की जवाबदेही सुनिश्चित करता है और विधायकों को सरकार के कामकाज पर नजर रखने और यदि आवश्यक हो तो उसे हटाने का अधिकार देता है।
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