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adhd or autism

बच्चे को ऑटिज्म है या एडी एचडी कैसे पता लगाए!

इससे पहले के में हमने ऑटिज्म और एडी एचडी के बारे में जाना। ऑटिज्म और एडी एचडी जिसे अंटेशन डेफिसिट हाइपर एक्टिव डिसाडॅर भी कहा जाता है, दोनो बीमारिया एक जैसी लगती है क्योंकि इन दोनो बीमारियो कि वजह से बच्चे का ध्यान कमज़ोर होने लगता है,लोगो के साथ की जाने वाली बातचीत कम होती है और सामाजिक व्यवहार में भी कमी आने लगती हैं।

इस लेख में दोनों बीमारियो के अलग-अलग पहलूओ को जानेगें।

1.ध्यान केन्द्रित करना  – जिन बच्चों को एडी एचडी है,वह एक चीज पर ध्यान से काम नहीं कर सकतें, उनका ध्यान एक जगह से दूसरी जगह पर बदलता रहता हैं और जिन बच्चों को ऑटिज्म है वे लापरवाह लगते है पर जब एक बार किसी चीज मे दिलचस्पी आती है तो वे उसको ध्यान से करते है,ऐसे बच्चे कला, संगीत जैसे क्षेत्रों में आगे बढते हैं।

2.बातचीत करना  – एडी एचडी वाले बच्चे बहुत बाते करते है,एक विषय से दूसरे पर कभी भी बात बदल सकते है,वही ऑटिस्टिक बच्चे को बोलने, मिलने जुलने में मुश्किल होती है,अपनी भावनाओ को समझाने में दिक्कत होती है।

3.नियम और कानून – स्कूल या औपचारिक जगहों पर नियमों का पालन करने में एडी एचडी बच्चों के लिए मुश्किल होती है,उन्हें अलग-अलग चीजे जल्दी-जल्दी करनी होती हैं।ऑटिज्म वाले बच्चे अपने द्वारा चुनी हुई ऐक्टिविस्ट में ज्यादा ध्यान देते है,किसी दूसरी जगह पर उनका ध्यान लगाना मुश्किल होता हैं।

4.हाइपर ऐक्टिविटी – एडी एचडी वाले बच्चे अतिक्रियाशील होते है,वे रूम मे घुमते रहेंगें और चीजों को छूते रहेंगे,,ऑटिस्टिक बच्चे एक जगह पर बैठे रहेगें और लगेंगा की खुद में ही खोए हुए हैं।

5.सामाजिक व्यवहार – ऑटिस्टिक बच्चो के लिए सामाजिक व्यवहार करना, उसमें शामिल होना बडी परेशानी वाली बात हैं परिवार के सदस्यो के अलावा,बहुत कम लोगों से बात कर पाते हैं,एडी एचडी वाले बच्चों को लोगों से संपर्क बनाने दिक्कत नहीं होती।

दोनों बीमारियां एक दूसरे मे ओवरलैप होने के कारण समझना मुश्किल है,पर अहम पहलू को समझना जरूरी हैं, क्योकिं दोनों का इलाज और थेरेपी अलग अलग होती हैं। सही समय, सही तरह से बिमारी को जानना जरूरी हैं,जिससे बच्चों के जीवन की गुणवत्ता को बहत्तर बना सके।