संसद में अवैध रूप से घुसकर विरोध जताना एक गैरकानूनी और अनुचित कार्य है। संसद भारत की सर्वोच्च विधायिका है और इसकी सुरक्षा और संप्रभुता को बनाए रखना महत्वपूर्ण है। अवैध रूप से घुसकर विरोध करने से संसद की सुरक्षा और संप्रभुता को खतरा हो सकता है। इसके अलावा, यह कार्य अन्य सांसदों और कर्मचारियों के लिए भी खतरा पैदा कर सकता है।
हालांकि, यह भी समझना महत्वपूर्ण है कि लोगों को अपने अधिकारों और हितों के लिए आवाज उठाने का अधिकार है। यदि कोई व्यक्ति किसी मुद्दे को लेकर चिंतित है, तो उसे अपने विचारों को व्यक्त करने के लिए कानूनी और शांतिपूर्ण तरीके खोजने चाहिए। अवैध रूप से घुसकर विरोध करने से केवल अपनी बात को मजबूत करने में मदद नहीं मिलेगी, बल्कि यह सरकार के साथ टकराव पैदा कर सकता है और स्थिति को और खराब कर सकता है।
इसलिए, मेरा मानना है कि संसद में अवैध रूप से घुसकर विरोध जाना एक गैरकानूनी और अनुचित कार्य है। यह कार्य न केवल संसद की सुरक्षा और संप्रभुता को खतरा पैदा करता है, बल्कि यह सरकार के साथ टकराव पैदा कर सकता है और स्थिति को और खराब कर सकता है।
यदि कोई व्यक्ति किसी मुद्दे को लेकर चिंतित है, तो उसे अपने विचारों को व्यक्त करने के लिए कानूनी और शांतिपूर्ण तरीके खोजने चाहिए। इसके लिए, वह संसद में ज्ञापन दे सकता है, सार्वजनिक प्रदर्शन कर सकता है, या मीडिया के माध्यम से अपनी बात को व्यक्त कर सकता है।
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