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Sunday, February 23   2:20:42
Organic Farming in gujarat

खेती का नया चेहरा: Organic गुलाब और अमरूद से कैसे चमकी महेश पिपरिया की किस्मत

किसान होने का मतलब सिर्फ खेती करना नहीं, बल्कि हर रोज़ नई संभावनाओं की तलाश में जुटे रहना भी है। गुजरात के राजकोट के महेश पिपरिया ने इस सोच को अपनी मेहनत और दृढ़ निश्चय से सच साबित कर दिखाया। उन्होंने पारंपरिक खेती के बजाय ऑर्गेनिक फार्मिंग का रास्ता चुना और न केवल खुद को, बल्कि अन्य किसानों को भी प्रेरित किया।

महेश ने महसूस किया कि पारंपरिक खेती में लाभ सीमित है। इस समस्या का समाधान तलाशते हुए उन्होंने जैविक खेती की ओर रुख किया। उनके 22 एकड़ के सर्टिफाइड ऑर्गेनिक फार्म पर गुलाब, गेंदा, अमरूद, व्हीट ग्रास और चुकंदर की खेती होती है।

गुलाब की खेती: सफलता की नई ऊंचाई

महेश के फार्म पर सबसे ज्यादा गुलाब की खेती होती है। उनके गुलाब की पंखुड़ियां न केवल देश में बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी बेहद लोकप्रिय हैं।

  • दाम: 750 रुपये प्रति किलो।
  • उत्पादन: हर साल 5-6 टन गुलाब की पंखुड़ियां।

गुलाब के अलावा महेश अमरूद की पत्तियों और गेंदे के फूलों का भी निर्यात करते हैं। इनके साथ-साथ जैविक व्हीट ग्रास और चुकंदर भी उनके फार्म की पहचान हैं।

महेश पिपरिया ने खेती में आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया। मिट्टी की गुणवत्ता, जैविक खाद और सिंचाई के उन्नत तरीकों ने उनके उत्पादन की गुणवत्ता को अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुंचा दिया।

कमाई और प्रेरणा

महेश आज हर साल 50 लाख रुपये से ज्यादा की कमाई कर रहे हैं। उनकी सफलता इस बात का प्रमाण है कि अगर सही दिशा और मेहनत हो, तो खेती भी फायदे का सौदा बन सकती है।

किसानों के लिए प्रेरणा

महेश की कहानी हर किसान को यह सिखाती है कि पारंपरिक सीमाओं से बाहर निकलकर नई तकनीकों और विधियों को अपनाने से बड़े बदलाव लाए जा सकते हैं।

महेश पिपरिया की यह कहानी सिर्फ एक किसान की नहीं, बल्कि हर उस इंसान के लिए प्रेरणा है जो अपनी मेहनत और दूरदर्शिता से बड़ा बदलाव लाने का सपना देखता है।

अगर यह कहानी आपको प्रेरित करती है, तो इसे ज़रूर शेयर करें और ऑर्गेनिक खेती के इस सफर को दूसरों तक पहुंचाएं!