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सीरिया में सत्ता का नाटकीय पलटाव: बशर अल-असद के भागने से उठी नई राजनीतिक चुनौतियाँ

सीरिया में 13 सालों के संघर्ष के बाद, आखिरकार एक नाटकीय मोड़ आया है, जिसने देश का राजनीतिक परिदृश्य पूरी तरह से बदल दिया है। 8 दिसंबर 2024 को राष्ट्रपति बशर अल-असद, जो 2000 से सीरिया के सत्ता में थे, देश छोड़कर रूस भाग गए। उनका भागना केवल एक राजनीतिक घटना नहीं है, बल्कि यह सीरिया में जारी संघर्षों और अस्थिरता की गहरी परतों को उजागर करता है। तो सवाल यह उठता है कि यह सब कैसे हुआ और अब सीरिया की राजनीति किस दिशा में जाएगी?

सीरियाई विद्रोह: 2011 से 2024 तक का सफर

सीरिया में यह कहानी 2011 में शुरू हुई थी, जब राष्ट्रपति असद के खिलाफ नागरिकों ने विरोध प्रदर्शन किया। असद ने इन विरोधों को कड़ी क्रूरता से कुचला, जिससे देश में गृहयुद्ध की शुरुआत हो गई। इस युद्ध में लाखों लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। आठ साल तक, असद ने रूस और ईरान के समर्थन से देश के अधिकांश हिस्से पर अपना कब्जा बनाए रखा था, जबकि विभिन्न विपक्षी समूह उत्तर और पश्चिमी क्षेत्रों में सक्रिय थे।

लेकिन 27 नवंबर 2024 को सीरिया में एक नया मोड़ आया, जब हयात तहरीर अल-शाम (HTS) नामक एक इस्लामिक समूह ने सीरिया के महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर अचानक कब्जा करना शुरू किया। इस समूह ने 13 गांवों पर कब्जा करने के बाद सीरिया के दूसरे सबसे बड़े शहर अलेप्पो, हमा और होम्स पर भी नियंत्रण हासिल किया। अंततः यह समूह राजधानी दमिश्क में भी घुस आया और असद की सरकार का पतन हो गया।

HTS की सफलता के कारण

HTS की सफलता को रूस और ईरान की घटती भूमिका से जोड़ा जा रहा है, क्योंकि रूस यूक्रेन युद्ध में व्यस्त है और ईरान इजरायल के साथ संघर्ष में लगा हुआ है। ऐसे में सीरिया पर उनका ध्यान कम हो गया, जिससे स्थानीय ताकतों को बढ़ावा मिला। विशेषज्ञों का कहना है कि दमिश्क पर कब्जा करने में सेना की विफलता और भ्रष्टाचार की बड़ी भूमिका रही। इसके अलावा, HTS के नेताओं ने अपने लड़ाकों को पेशेवर तरीके से प्रशिक्षित किया, जिससे वे इस संघर्ष में सफल रहे।

सीरियाई सेना का आत्मसमर्पण

सीरियाई सेना ने बिना किसी संघर्ष के आत्मसमर्पण कर दिया। इसके पीछे सेना में व्याप्त भ्रष्टाचार और लंबे समय से चल रहे गृहयुद्ध से थकावट को प्रमुख कारण माना जा रहा है। कई विशेषज्ञ मानते हैं कि सीरिया की सेना ने आत्मसमर्पण करने के अलावा कोई और विकल्प नहीं देखा। HTS के नेता अबू मोहम्मद अल-जुलानी ने इस सफलता को अपने लड़ाकों के पेशेवर प्रशिक्षण का परिणाम बताया है।

असद के भागने के बाद सीरिया का राजनीतिक परिदृश्य

असद के भागने के बाद, सीरिया का राजनीतिक परिदृश्य और भी जटिल हो गया है। HTS का नेतृत्व अब सीरिया में सबसे महत्वपूर्ण ताकत बन गया है, लेकिन यह स्थिति स्थिर नहीं है। सीरिया के सबसे बड़े क्षेत्र पर सीरियाई डेमोक्रेटिक फोर्सेस (SDF) का कब्जा है, जो अमेरिकी समर्थन प्राप्त कुर्दों द्वारा नियंत्रित है। वहीं, तुर्की समर्थित सीरियाई राष्ट्रीय सेना भी उत्तरी सीमा के पास अपनी ताकत बढ़ा रही है।

HTS, SDF और तुर्की समर्थित सेना के बीच गहरी दुश्मनी और प्रतिस्पर्धा है। इन तीन ताकतों के बीच मतभेद और संघर्ष अब सीरिया की राजनीति को और अधिक जटिल बना सकते हैं।

आगे का रास्ता: क्या होगा सीरिया का भविष्य?

अब सवाल यह उठता है कि सीरिया के लोग आगे किस दिशा में बढ़ेंगे? HTS ने दमिश्क पर कब्जा करने के बाद एक नए प्रशासन की स्थापना का संकेत दिया है। उनका कहना है कि वे एक इस्लामिक सिद्धांतों पर आधारित सरकार बनाएंगे, जो जनता द्वारा चुने गए काउंसिल के आधार पर चलेगी। हालांकि, क्या यह सत्ता हस्तांतरण शांतिपूर्ण और स्थिर होगा, यह कहना अभी मुश्किल है।

सीरिया में विद्रोही समूहों के लिए सत्ता चलाना आसान नहीं होगा, क्योंकि देश के विभिन्न हिस्सों में स्थानीय मिलिशिया और विभिन्न ताकतों के बीच लगातार संघर्ष हो सकता है।

सीरिया के लिए एक कठिन भविष्य

सीरिया के लोग अब जिस संघर्ष के दौर से गुजर रहे हैं, वह केवल एक सत्ता परिवर्तन नहीं, बल्कि यह देश की सामाजिक, राजनीतिक और सुरक्षा संरचना के पुनर्निर्माण का समय है। HTS, SDF और तुर्की समर्थित सीरियाई सेना के बीच गहरी नफरत और विभाजन सीरिया के भविष्य को जटिल बनाते हैं। जब तक इन गहरे मतभेदों को सुलझाया नहीं जाता, तब तक सीरिया में स्थिरता और शांति की उम्मीदें बहुत धुंधली नजर आती हैं।