सूरत के नानपुरा इलाके से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जहां एक 13 साल के किशोर ने अपनी 1 साल की बहन की हत्या कर दी। किशोर ने गुस्से में आकर अपनी बहन का लगातार रोना सहन नहीं किया और तकिए से उसका मुंह दबा दिया, जिससे बच्ची की मौत हो गई। यह घटना न केवल परिवार के लिए, बल्कि पूरे इलाके के लिए एक गहरी शोक की लहर लेकर आई है।
किशोर एक साल पहले मुंबई से अपनी मौसी के घर सूरत आया था और मौसी के घर में रह रहा था। उस दिन किशोर को अपनी बहन का ख्याल रखने की जिम्मेदारी मिली थी, क्योंकि उसकी मां घर से बाहर थी। जब मां घर लौटी, तो उसने अपनी बेटी को बेहोश पाया और तुरंत अस्पताल ले जाया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में यह सामने आया कि बच्ची की मौत गला दबाने के कारण हुई। पुलिस ने किशोर से पूछताछ की और उसने अपना जुर्म कबूल कर लिया। किशोर ने बताया कि बहन का लगातार रोना उसे बहुत परेशान कर रहा था, और उसने गुस्से में आकर तकिए से उसका मुंह दबा दिया। किशोर ने यह नहीं समझा कि उसकी यह हरकत किसी की जान ले सकती है।
पुलिस ने किशोर के खिलाफ गैर-इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया और उसे हिरासत में ले लिया। बाद में किशोर को जुवेनाइल होम भेज दिया गया, जहां उसकी काउंसलिंग और मानसिक स्थिति का मूल्यांकन किया जाएगा। पुलिस यह भी जांच रही है कि किशोर ऑनलाइन गेम्स या सोशल मीडिया के किसी प्रभाव में था, जिससे उसका मानसिक संतुलन बिगड़ा हो।
घटना के बाद, किशोर के परिवार ने पुलिस से केस न दर्ज करने की गुहार लगाई, लेकिन पुलिस ने घटना की गंभीरता को देखते हुए कानूनी कार्रवाई जारी रखी। इस घटना ने पूरे इलाके को हिलाकर रख दिया है और यह सवाल खड़ा किया है कि बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य, उनके आक्रामक व्यवहार और परिवारों की भूमिका पर हमें और ध्यान देना चाहिए।
यह घटना बच्चों की मानसिक स्थिति और भावनात्मक संतुलन के महत्व को उजागर करती है। किशोरों को अपनी भावनाओं को नियंत्रित करने में परेशानी हो सकती है, और यह खतरनाक परिणामों का कारण बन सकता है। समाज और परिवारों को बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य और आक्रामक व्यवहार से बचने के लिए बेहतर मार्गदर्शन और देखभाल प्रदान करने की जरूरत है।
इस घटना में पुलिस ने कानूनी कार्रवाई के साथ-साथ किशोर की काउंसलिंग का भी उचित कदम उठाया है, जो यह दर्शाता है कि बच्चों के अपराधों में सुधार और मानसिक विकास के लिए एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाना जरूरी है। बच्चों को सही मार्गदर्शन और समझ देने से हम भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकने में सफल हो सकते हैं।
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