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हरियाणा मेवात दंगो में झुलसा : हिंसा में 6 की मौत धारा 144 लागू

02-08-2023

आज दंगों की चपेट में हरियाणा का मेवात,पलवल,रेवाड़ी, फरीदाबाद ,सोनीपत झुलस रहे हैं।इन शहरों समेत 6 जिलों में धारा 144 लागू कर दी गई है।अबतक इस हिंसा में 6 लोगों की मौत और 116 लोग गिरफ्तार हुए है। नूंह में सबसे अधिक दंगे हुए है।
आज हरियाणा का मेवात दंगो से त्रस्त है,नूंह में हिंदू मुस्लिम के बीच तनाव है। मुंह में 2 दिन का कर्फ्यू लगा दिया गया है, और धारा 144 भी लागू कर दी गई है ।यहां पर नेट सेवा भी बंद कर दी गई है ।अब तक यहां 6 लोगों की मौत हो चुकी है ,116 लोग गिरफ्तार हो चुके हैं ।यहां पर सुरक्षा बल की नई SIT टीम भी तैनात कर दी हैं ,और 20 कंपनी केंद्रीय बल तैनात किया गया है।पूरे इलाकों में पैरामीटर पैरामिलिट्री के 13 आतंकियों की तलाश जारी है ।राजस्थान के भरतपुर में अलर्ट जारी कर दिया गया है ,और 4 इलाकों में नेट सेवा बंद कर दी गई है । यह हिंसा मेवात के नियमों से गुरुग्राम तक फैल गई है, और राजस्थान तक पहुंची है ।रेवाड़ी ,पलवल, फरीदाबाद ,सोनीपत, समेत छह जिलों में धारा 144 घोषित कर दी गई है।


31जुलाई को नूंह के अरावली पहाड़ी इलाके में बने मंदिर से ViHIP द्वारा ब्रजमंडल शोभायात्रा निकाली जानी थी ।यह ऐसी जगह है जहां पर आसपास बहुत कम आबादी है। यहां से एक सड़क गुजरती है, जहां पर दंगाइयों की भीड़ ने गाड़ियों में आग लगा दी ।यह घटना शोभायात्रा मंदिर से निकलने के वक्त की थी। जिस भीड़ ने यह हमला किया था ,वह कहां से आई थी ? कहां गई? इसका कुछ पता नहीं चला है। क्या यह दंगे किसी प्लानिंग के तहत हुए? इस पर भी सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं । इस हिंसा के जिम्मेदार कौन है ,यह भी सवाल है।पहला पत्थर किसने फेंका?
हिंसा के विरोध में विश्व हिंदू परिषद ने प्रदर्शन किए हैं।सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि भड़काऊ बयानबाजी ना हो ।


आज हिंदू मुस्लिम दंगो के बीच झुलस रहे मेवात ने सन 1947 में बंटवारे के दौरान हुए दंगों की याद ताजा करा दी। मेवात में जब बंटवारे के वक्त कत्लेआम हो रहा था ,तब “कब्रिस्तान या पाकिस्तान “के नारे के बावजूद यहां के मुसलमानो ने वतन छोड़कर ना जाने का निश्चय लिया था। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार सन 1947 में मेवात का मुस्लिम डेलिगेशन महात्मा गांधी से मिलने दिल्ली बिरला हाउस पहुंचा था ,और उन्होंने तब यह कहा था कि वे वतन छोड़कर कहीं नहीं जाएंगे। महात्मा गांधी की हत्या के एक महीने पहले 9 दिसंबर 1947 के रोज वे मेवात में आए थे। तब उन्होंने कहा था कि मेवात के मुसलमान हिंदुस्तान की रीढ़ की हड्डी है ,उन्हें देश छोड़ने को कोई मजबूर नहीं करेगा। गांधीजी की हत्या की खबर सुनकर मेवात के मेवा मुसलमान सकते में आ गए थे।
हिंदुस्तान को न छोड़ने की बात करने वाले मुसलमानों और हिंदुओ की इस दोस्ती को क्या हुआ? किसकी नज़र लगी?