(नलिनी रावल)
आज पारसी समाज का नववर्ष नवरोज है, जिसे सभी पारसीयों ने उत्साह से मनाया।
भारत देश को दादाभाई नौरोजी, वीर नरीमन, फिरोजशाह मेहता, मैडम भीकाजी कामा, जमशेदजी टाटा, जमशेदजी जीजी भाई, लवजी नसरवान वाडिया, रतन टाटा, होमी वाडिया, डॉक्टर होमी भाभा, गोदरेज, नानी पालकी वाला, डॉक्टर होमी सेठ, सोली सोराबजी ,जैसे विविध क्षेत्रों के निपुण महानुभाव देने वाला पारसी समाज आज अपना नववर्ष नवरोज मना रहा है।
पारसी समाज में 1 वर्ष 360 दिन का होता है। नवरोज का यह दिन उनके राजा जमशेदजी को याद कर मनाया जाता है ,जिन्होंने 3000 साल पहले ईरान में सिहासन ग्रहण किया था। आज के दिन सभी पारसी लोग अग्यारी में जाते हैं, और पवित्र अग्नि के सामने संत अशो जरथुस्त्र को याद करते हुए प्रार्थना करते हैं। परिवार में सभी लोग खुशियां मनाते हैं, और परिजनों मित्रों सभी को नवरोज मुबारक कहकर नया साल मनाते हैं।
भारत में 1350 से भी अधिक साल पुराना इनका इतिहास रहा है। ईरान में आरबों की त्रासदी से परेशान होकर वे लोग अपने धर्म की रक्षा के लिए पवित्र अग्नि को लेकर गुजरात के दीव बंदरगाह पर उतरे ।वे यहां 19 साल रहे, लेकिन पोर्तुगीज हमला होने पर वे लोग संजान बंदरगाह पर आए। और यहां पर वे दूध में मिश्री की तरह घुल मिल गए ,और वह भारत का एक अटूट हिस्सा बन गए।
पारसी समाज जर्थोष्ट्र धर्म को मानता है,और पवित्र अग्नि की पूजा करता है।ईरान से वे जो पवित्र अग्नि लेकर आए थे ,वह उन्होंने गुजरात के उदवाड़ा में स्थापित की।आज उदवाड़ा पारसियों का तीर्थ स्थल माना जाता है। जर्थोष्ट धर्म की स्थापना 590 ईस्वी में हुई,जिसके स्थापक थे, संत अशो जरथुस्त्र।
आज भी पारसी समाज भारत का एक अभिन्न अंग है। सबके साथ हिलमिल कर रहना इनकी प्रकृति है। आज इनकी संख्या दिन ब दिन घटती जा रही है, जो चिंता का विषय है।
VNM परिवार समग्र पारसी समाज को नवरोज मुबारक कर शुभकामनाएं देता है।
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