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HaldharNag

हलधर नाग: जिन्होंने तीसरी के बाद छोड़ी पढ़ाई उनकी कविताओं पर हो रही PHD, अमर विरासत की कहानी

“हर कोई कवि है, पर उसे आकार देना कला है।” इस एक पंक्ति में हलधर नाग का जीवन और उनकी कविता का दर्शन समाहित है। तीसरी कक्षा के बाद पढ़ाई छोड़ने वाले इस साधारण व्यक्ति ने अपनी असाधारण प्रतिभा से साहित्य की दुनिया में ऐसा मुकाम हासिल किया, जिसे बड़े-बड़े विद्वान भी सम्मान के साथ नमन करते हैं।

ओडिशा के एक छोटे से गांव में जन्मे हलधर नाग ने जीवन की कठिनाइयों को अपनी ताकत बनाया। उनकी कविताएं ग्रामीण समाज, प्रकृति, और पौराणिक कथाओं का ऐसा जीवंत चित्रण करती हैं कि सुनने वाले भाव-विभोर हो जाते हैं। 1990 में उनकी पहली कविता प्रकाशित हुई, और तभी से उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। उनकी कृतियों में न केवल गहराई है, बल्कि कोसली भाषा का वह माधुर्य भी है, जो पाठकों के हृदय को छू जाता है।

हलधर नाग की कविताओं की महत्ता का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि वे पाँच शोधकर्ताओं के पीएचडी कार्य का विषय बन चुकी हैं। उनकी कविताओं में समाज के हर पहलू—वर्तमान समस्याओं से लेकर ऐतिहासिक और पौराणिक गाथाओं तक—का सजीव वर्णन है। यह एक दुर्लभ सम्मान है, जो उन्हें “लोक कवि रत्न” के खिताब से कहीं अधिक ऊंचाई पर ले जाता है।

पद्म श्री का सम्मान

2016 में भारत सरकार ने उन्हें पद्म श्री से सम्मानित किया, जो उनकी कला और भाषा-संवर्धन के प्रति उनके योगदान की स्वीकृति है। हलधर नाग के पास न तो बड़ी डिग्रियां हैं, न ही कोई प्रोफेसनल ट्रेनिंग। उनकी शक्ति उनकी स्मरणशक्ति और लेखन शैली में है। वह बिना किसी पांडुलिपि के अपनी कविताएँ सुनाते हैं, और श्रोताओं के दिलों में बस जाते हैं।

हलधर नाग आज भी अपने पारंपरिक पहनावे—सफेद धोती और बनियान—में देखे जाते हैं। उनकी यह सादगी उनके व्यक्तित्व और उनकी रचनाओं दोनों में झलकती है। वे अपनी मिट्टी, अपनी जड़ों से जुड़े हुए कवि हैं, जो समाज को प्रेरणा और दिशा देने का कार्य कर रहे हैं।

हलधर नाग की कविताएं केवल शब्द नहीं, बल्कि लोक संस्कृति का वह अमूल्य खजाना हैं, जो आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देता रहेगा। उनकी कहानी यह साबित करती है कि ज्ञान का स्रोत केवल डिग्रियां नहीं, बल्कि जीवन के अनुभव और अपनी भाषा, अपनी संस्कृति से गहरा जुड़ाव है।

हलधर नाग की रचनाएं न केवल कोसली भाषा को जीवंत बनाए रखे हुए हैं, बल्कि यह भी सिद्ध करती हैं कि साहित्य की कोई सीमा नहीं होती। उनका जीवन उन सबके लिए एक संदेश है जो मानते हैं कि कठिनाइयां उनकी राह रोक सकती हैं। कवि हलधर नाग इस बात का प्रमाण हैं कि अगर दिल में जुनून हो, तो सीमाएं टूटने के लिए ही बनी हैं।