गुजरात के वड़ोदरा में घटे हरनी बोट कांड मुद्दे हाई कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है और लेक जोन का कॉन्ट्रैक्ट देने की प्रक्रिया ही गलत होने की बात कहते हुए हाईकोर्ट ने तत्कालीन म्युनिसिपल कमिश्नर डॉ विनोद राव और HS पटेल पर ड्यूटी में लापरवाही बरती होने की बात कही हैं। साथ ही उस वक्त के स्थाई समिति के 16 सदस्य और कारपोरेशन के 69 कॉरपोरेटर भी इसके पीछे जिम्मेदार होने की सुध हाई कोर्ट ने ली है।
चीफ जस्टिस सुनीता अग्रवाल का मौखिक निर्णय सामने आया है, जिसमें कोर्ट का कड़ा रुख उजागर हुआ है, जिससे कोटिया प्रोजेक्ट को कॉन्ट्रैक्ट देने में जुड़े सभी लोगों पर कार्यवाही हो सकती है । इतना ही नहीं बोट कांड में शामिल बड़े नामों को बचाने के लिए पालिका के अधिकारियों के सामने विभागीय जांच भी चल रही है।
म्युनिसिपल कमिश्नर ने कार्यकारी इंजीनियर राजेश चौहान पूर्व जोन के अस्थाई कार्यकारी इंजीनियर परेश पटेल और इंजीनियर जिगर सयानिया के खिलाफ विभागीय जांच करवाई है। जिसमें तीनों इंजीनियर दोषी साबित हुए हैं।जबकि इंजीनियर परेश पटेल को एक ग्रेड डाउन करने पर शोकोज नोटिस दी गई है जबकि जिगर सयानिया को दो इंक्रीमेंट रोकने की नोटिस दी गई है।
पूर्व एडिशनल सिटी इंजीनियर धीरेंद्र तलपदा और पूर्व जोन के डेप्युटी इंजीनियर जिग्नेश शाह के सामने भी विभागीय जांच के आदेश दिए गए है, इसके बाद जिग्नेश शाह बिना इजाजत विदेश दौरे पर निकल गए हैं। मामले पर विपक्ष नेता अमी रावत ने न्याय दिलवाने में गुजरात सरकार असफल साबित हुई होने की बात कही है।
लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी हाल ही में वड़ोदरा के हरनी बोट दुर्घटना के पीड़ितों को मिले थे, जिसके बाद अब गुजरात सरकार पर भी मामले में ठोस जांच का दबाव बन रहा है। ऐसे में इस मामले पर जल्द से जल्द दोषियों पर कार्रवाई की उम्मीद लगाई जा रही है।
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