Gujarat: वडोदरा में आयोजित पूज्य श्री दादा भगवान की 117वीं जयंती समारोह में गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल रविवार को शामिल हुए। इस अवसर पर, उन्होंने और दीपकभाई ने दादा भगवान के सम्मान में भारत सरकार के डाक विभाग द्वारा जारी एक स्मारक डाक टिकट का विमोचन किया। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री पटेल ने दादा भगवान के सिद्धांतों और उनके आध्यात्मिक योगदान पर चर्चा की और उन्हें आज की पीढ़ी के लिए एक मार्गदर्शक के रूप में सराहा।
मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने अपने संबोधन में कहा, “सभी आध्यात्मिक मार्ग अंततः आत्म-ज्ञान के सर्वोच्च सत्य तक पहुँचने के प्रयास करते हैं। कई मार्ग इस समझ के लिए एक क्रमिक यात्रा को बढ़ावा देते हैं, लेकिन पूज्य श्री दादा भगवान ने कर्म और चरणों से मुक्त दिव्य ज्ञान का मार्ग प्रस्तुत किया है।” उन्होंने यह भी कहा कि आज की पीढ़ी दादा भगवान के विचारों और उनके उदाहरणों से प्रेरित होकर प्रदूषण, तनाव और प्रतिकूलता जैसी चुनौतियों का सामना करने के लिए नए तरीके खोज रही है।
मुख्यमंत्री ने दादा भगवान की जीवन यात्रा और उनके आत्म-साक्षात्कार के क्षणों को याद किया। उन्होंने बताया कि कैसे सूरत रेलवे स्टेशन पर दादा भगवान को आत्म-साक्षात्कार और “अक्रम विज्ञान” की प्राप्ति हुई थी। यह ज्ञान एक सरल और सीधा मार्ग है जो बिना कर्म बंधन के आत्म-ज्ञान का अनुभव प्रदान करता है।
दादा भगवान के अनुसार, हर व्यक्ति में दिव्यता है, और आत्म-साक्षात्कार से व्यक्ति का जीवन पूरी तरह बदल सकता है। उन्होंने लोगों को अपने वास्तविक स्वरूप को समझने और आत्मा की अनंत शक्तियों को पहचानने की शिक्षा दी।
डाक टिकट का विमोचन: सम्मान का प्रतीक
इस अवसर पर जारी किया गया स्मारक डाक टिकट दादा भगवान के प्रति सम्मान का प्रतीक है। मुख्यमंत्री पटेल ने इस डाक टिकट को एक विशेष पहल के रूप में देखा, जिससे दादा भगवान के संदेश को और भी अधिक लोगों तक पहुंचाने में मदद मिलेगी।
आध्यात्मिकता के माध्यम से जीवन की चुनौतियों का समाधान
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि दादा भगवान का मार्गदर्शन आज के समाज के लिए बेहद प्रासंगिक है। उनके विचार और शिक्षाएं आज की पीढ़ी को अपने जीवन में आने वाली कठिनाइयों का समाधान खोजने में मदद कर रही हैं। उनके अनुसार, दादा भगवान का मार्गदर्शन प्रदूषण, तनाव और जीवन की अन्य चुनौतियों से निपटने में सहायक सिद्ध हो सकता है।
दादा भगवान की 117वीं जयंती के इस समारोह में मुख्यमंत्री का संबोधन आध्यात्मिकता के महत्व पर जोर देता है। उन्होंने दादा भगवान के विचारों को जन-जन तक पहुँचाने और उनके सिद्धांतों को दैनिक जीवन में अपनाने की प्रेरणा दी।
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