गुजरात में गर्मी के बढ़ते प्रकोप के साथ ही जल संकट गहराता जा रहा है। राज्य के अधिकांश डेमों में जल स्तर 30% से भी कम रह गया है, जिससे पीने और सिंचाई के पानी की गंभीर समस्या उत्पन्न हो गई है।
डेमों की स्थिति चिंताजनक
राज्य के 92 डेमों में से 28 डेमों में जल स्तर 10% से भी कम है। उत्तर गुजरात के 15 डेमों में केवल 34.13% पानी शेष है, जबकि मध्य गुजरात के 17 डेमों में 58.35% पानी बचा है। कच्छ के 20 डेमों में 37.94% और सौराष्ट्र के 141 डेमों में मात्र 40.37% पानी उपलब्ध है। कुछ जिलों में स्थिति और भी गंभीर है, जैसे कि बनासकांठा में 11.37%, साबरकांठा में 27%, द्वारका में 12%, मोरबी में 28% और सुरेंद्रनगर में 33% जल स्तर रह गया है।
शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में पानी की किल्लत
अहमदाबाद और वडोदरा जैसे शहरी क्षेत्रों में पीने के पानी की आपूर्ति बाधित हो रही है, जिससे नागरिकों में आक्रोश बढ़ रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में स्थिति और भी गंभीर है, जहां टैंकरों के माध्यम से पानी की आपूर्ति की जा रही है।
सरकार की त्वरित कार्रवाई
जल संकट की गंभीरता को देखते हुए राज्य सरकार ने आपात बैठकें आयोजित की हैं और जल प्रबंधन की योजनाओं पर पुनर्विचार किया जा रहा है। सरकार ने जल संरक्षण, वर्षा जल संचयन और भूजल पुनर्भरण जैसी योजनाओं को प्राथमिकता देने का निर्णय लिया है।
समाधान की दिशा में कदम
विशेषज्ञों का मानना है कि जल संकट से निपटने के लिए दीर्घकालिक योजनाओं की आवश्यकता है। इसमें जल संरक्षण, सिंचाई की आधुनिक तकनीकों का उपयोग, वर्षा जल संचयन और जन जागरूकता अभियान शामिल हैं।
गुजरात में जल संकट एक गंभीर समस्या बनता जा रहा है, जिसे तत्काल और दीर्घकालिक उपायों के माध्यम से ही सुलझाया जा सकता है। सरकार और नागरिकों को मिलकर जल संरक्षण की दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे, ताकि भविष्य में इस संकट से बचा जा सके।

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