बॉलीवुड अभिनेता सैफ अली खान और उनका नवाबी परिवार एक बार फिर चर्चा में है। इस बार मामला उनकी भोपाल स्थित 15,000 करोड़ रुपये की ऐतिहासिक संपत्ति से जुड़ा है। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने 2015 से लगी रोक (स्टे) को हटा दिया है, जिससे सरकार को इस संपत्ति पर कब्जा करने का रास्ता साफ हो गया है।
क्या है मामला?
यह संपत्ति भोपाल के नवाब मनसूर अली खान पटौदी और उनके परिवार की है। नवाब पटौदी के परिवार में यह संपत्ति पीढ़ियों से चली आ रही है। लेकिन जब उनकी बड़ी बेटी आबिदा सुल्तान पाकिस्तान में बस गईं, तो इस संपत्ति पर भारत सरकार ने दावा ठोका। सरकार ने इसे शत्रु संपत्ति अधिनियम, 1968 के तहत सूचीबद्ध किया।
इस अधिनियम के अनुसार, भारत-पाकिस्तान विभाजन और उसके बाद हुए युद्धों के दौरान जो लोग भारत छोड़कर पाकिस्तान चले गए, उनकी भारत में स्थित संपत्तियों पर सरकार का कब्जा हो सकता है।
कोर्ट का फैसला और आगे का रास्ता
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के न्यायाधीश विवेक अग्रवाल ने 2015 में लगे स्टे को हटाने का आदेश दिया है। उन्होंने पटौदी परिवार को इस संपत्ति पर दावा पेश करने के लिए 30 दिनों का समय दिया था। लेकिन परिवार कोई ठोस सबूत पेश नहीं कर सका, जिससे यह संपत्ति सरकार के कब्जे में जाने की स्थिति में आ गई है।
सरकार अब इस संपत्ति का सर्वे कराकर क़ानूनी प्रक्रिया के तहत इसे सरकारी संपत्ति घोषित करेगी।
क्यों है यह संपत्ति खास?
पटौदी परिवार की यह संपत्ति सिर्फ एक ऐतिहासिक धरोहर नहीं है, बल्कि इसमें कई महत्वपूर्ण इमारतें और ज़मीनें शामिल हैं। इन संपत्तियों में शामिल हैं:
पटौदी पैलेस (गुरुग्राम)
नूर-उस-सबाह पैलेस (भोपाल)
फ्लैग स्टाफ हाउस
दार-उस-सलाम
अहमदाबाद पैलेस
कई ऐतिहासिक कोठियां, फार्म हाउस और स्कूल।
इसके अलावा, भोपाल की यह संपत्ति 100 एकड़ से भी ज्यादा क्षेत्र में फैली है, जहां वर्तमान में डेढ़ लाख से अधिक लोग रहते हैं।
शत्रु संपत्ति अधिनियम का महत्व
भारत सरकार ने 1968 में शत्रु संपत्ति अधिनियम बनाया था। इसके तहत विभाजन के बाद जो लोग भारत छोड़कर पाकिस्तान या चीन चले गए, उनकी संपत्ति पर सरकार का अधिकार हो सकता है।
भोपाल में नवाब पटौदी की बेटी आबिदा सुल्तान के पाकिस्तान चले जाने के बाद यह मामला अधिनियम के दायरे में आ गया।
पटौदी परिवार की प्रतिक्रिया
सैफ अली खान और उनका परिवार इस संपत्ति पर अपना दावा बनाए रखने के लिए हाईकोर्ट के डिवीजन बेंच में अपील करने की तैयारी कर रहा है।
भोपाल के कलेक्टर कौशलेन्द्र विक्रम सिंह ने कहा है कि पिछले 72 सालों में जिन संपत्तियों को शत्रु संपत्ति के रूप में सूचीबद्ध किया गया है, उनकी जांच और सर्वे शुरू किया जाएगा।
इतिहास के आईने में पटौदी परिवार की संपत्ति
2013 में: जिला प्रशासन ने शत्रु संपत्ति की एक रिपोर्ट पेश की, जिसमें 24 संपत्तियों का उल्लेख था।
2015 में: इन संपत्तियों की संख्या घटकर 16 रह गई।
इनमें से ‘नानी की हवेली’ आबिदा सुल्तान के नाम पर रजिस्टर्ड थी।
‘मैपल हाउस’ की मालिकाना स्थिति स्पष्ट नहीं है।
70 वर्षों में इन संपत्तियों के रिकॉर्ड में कई बदलाव हुए हैं, जिन पर अब सरकार विस्तार से जांच करेगी।
क्या होगा आगे?
सरकार के कब्जे की प्रक्रिया में सबसे पहले संपत्तियों का सर्वे होगा। इसके बाद कानूनी प्रक्रिया पूरी कर इसे सरकारी संपत्ति घोषित किया जाएगा। दूसरी ओर, पटौदी परिवार इस फैसले को चुनौती देने के लिए तैयार है।
यह मामला क्यों है चर्चा में?
यह मामला केवल कानूनी लड़ाई तक सीमित नहीं है। यह भारत के नवाबी दौर, उसकी संपत्तियों और उनके इतिहास से भी जुड़ा है। यह देखना दिलचस्प होगा कि यह संपत्ति सरकार के पास जाएगी या पटौदी परिवार इसका दावा बचा पाएगा।
पटौदी परिवार और उनकी विरासत भारतीय इतिहास का एक अनमोल हिस्सा है। लेकिन शत्रु संपत्ति अधिनियम के तहत उनकी संपत्तियां अब सरकार के कब्जे में जाने की स्थिति में हैं। यह मामला कानूनी और ऐतिहासिक दोनों ही दृष्टिकोण से बेहद दिलचस्प है।
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