सोने की कीमतों में ₹700 प्रति 10 ग्राम का इज़ाफ़ा हुआ है, और यह ₹82,000 के रिकॉर्ड उच्चतम स्तर के पास पहुँच गई हैं। यह वृद्धि मुख्य रूप से घरेलू मांग के कारण हो रही है, खासकर आभूषण विक्रेताओं से। हालांकि वैश्विक बाजार में थोड़ी कमजोरी देखी जा रही है, लेकिन स्थानीय बाजार में सोने की कीमतों में लगातार तीसरे दिन तेजी आई है। राष्ट्रीय राजधानी के सर्राफा बाजार में सोने का भाव शुक्रवार को ₹81,300 प्रति 10 ग्राम से बढ़कर ₹81,600 प्रति 10 ग्राम हो गया।
जहां सोने की कीमतें बढ़ी हैं, वहीं चांदी की कीमत ₹500 घटकर ₹93,500 प्रति किलो तक आ गई है, जो पिछले कारोबारी सत्र में ₹94,000 प्रति किलो पर बंद हुई थी।
वैश्विक परिप्रेक्ष्य
वैश्विक बाजार में, जहां COMEX सोने के वायदा में $21.10 प्रति औंस की गिरावट आई और यह $2,729.80 प्रति औंस पर पहुंच गया, वहीं चांदी के वायदा में भी 1.47% की गिरावट देखी गई और यह $31.26 प्रति औंस पर रहा। इस बीच, भारत में सोने की मांग लगातार बढ़ रही है, जो स्थानीय बाजार को मजबूती दे रही है, जबकि वैश्विक बाजार में कमजोर रुझान देखने को मिल रहे हैं।
सोने की कीमतों में तेजी क्यों?
विशेषज्ञों का मानना है कि सोने की कीमतों में वृद्धि का मुख्य कारण घरेलू बाजार में आभूषण विक्रेताओं से अधिक मांग है। भारत जैसे बड़े गोल्ड कंज्यूमर देश में आभूषण की खरीदारी का सीजन होने के कारण सोने की कीमतों में यह उछाल आया है। इसके अलावा, डॉलर की चाल और वैश्विक भू-राजनीतिक अस्थिरताओं ने भी सोने की कीमतों को और बढ़ावा दिया है। सोना, जिसे एक सुरक्षित निवेश के रूप में देखा जाता है, अक्सर वैश्विक अस्थिरता के दौरान आकर्षण का केंद्र बनता है।
आगे की दिशा: सोने और चांदी में तेजी जारी रह सकती है
कोटक सिक्योरिटीज में सहायक उपाध्यक्ष (कमोडिटी रिसर्च) कायनात चैनवाला के अनुसार, अमेरिकी आर्थिक आंकड़ों के आने से पहले सोना $2750 प्रति औंस से थोड़ा नीचे गिर सकता है। हालांकि, वैश्विक राजनीतिक परिस्थितियों और डॉलर की चाल को देखते हुए, सोने और चांदी की कीमतों में और वृद्धि की उम्मीद की जा रही है।
क्या अब निवेश करना सही है?
वर्तमान में सोने की कीमतों में वृद्धि जारी रहने की संभावना है। वैश्विक राजनीतिक अस्थिरताएं और डॉलर की चाल इसके मुख्य कारण हैं। यदि आप सुरक्षित निवेश की तलाश में हैं तो सोना एक अच्छा विकल्प हो सकता है, लेकिन यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि बाजार में उतार-चढ़ाव हो सकता है। अगर आप दीर्घकालिक निवेश की सोच रहे हैं, तो यह समय उपयुक्त हो सकता है, लेकिन सटीक समय पर निर्णय लेना जरूरी है।
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