22-06-2023, Wednesday
योग एक प्राचीन शारीरिक, मानसिक और स्पिरिचुअल प्रैक्टिस है जिसकी उत्पत्ति भारत में हुई थी। ‘योग’ शब्द संस्कृत से निकला है और इसका मतलब है जुड़ना या एकजुट होना, जो शरीर और चेतना को एक करने का प्रतीक है।
योग को लंबे समय से मानसिक स्वास्थ्य पर इसके सकारात्मक प्रभाव के लिए मान्यता दी गई है क्योंकि योग के अभ्यास में शारीरिक आसन, ब्रेथिंग प्रैक्टिस और ध्यान शामिल हैं, जो सभी मानसिक स्वास्थ्य में सुधार करने में योगदान करते हैं।
आज कल हम सब अपने अपने काम में काफी बिजी है। देखा जाए तो लोगो में स्ट्रेस लेवल भी बढ़ रहा है। ऐसे में योगा एक बेस्ट ऑप्शन बन सकता है आपको फिजिकली और मेंटली फिट रखने के लिए।
आज हम योगा के बारे में बात इसीलिए कर रहे है क्योंकि आज यानी 21 जून को योगा डे की तरह सेलिब्रेट किया जाता है। आज के दिन की खासियत है की योगा से जुड़ी सभी बाते, इसकी इंपोर्टेंस के बारे के लोगो को अवेयर किया जाता है।
बतादे हर साल एक थीम रखी जाती है। इस साल की थीम वन अर्थ, वन फैमिली, वन फ्यूचर रखा गया है।
योगा एक ऐसी प्रैक्टिस है जिसे हम अगर अपने डेली लाइफ की हैबिट बनाए तो ये हमारे शरीर स्वास्थ्य के लिए बहुत बड़ा बेनिफिट साबित हो सकता है।
ऐसे ही कुछ योग आसन के बारे के आपको बताते है जो आप रोजाना कर सकते है।
वज्रासन
वज्रासन घुटनों को मोड़ने के बाद पैरों पर बैठकर किया जाने वाला आसन है। यह संस्कृत के शब्द ‘वज्र’ से बना है, जिसका अर्थ आकाश से गिरने वाली बिजली है। इसे डायमंड पोज के नाम से भी जाना जाता है। इस योगासन में बैठकर प्राणायाम, कपालभाति व अनुलोम-विलोम किया जा सकता है। वज्रासन के अभ्यास से पीठ और रीढ़ की हड्डी मजबूत होती है और कमर दर्द के साथ ही साइटिका के मरीजों को भी राहत मिलती है।
नौकासन
इसके लिए स्वच्छ स्थान पर दरी अथवा मैट बिछा लें।इसके बाद पीठ के बल लेट जाएं और अपने दोनों पैर को साथ रखे और हाथों को अपने थाई पर रखें।अब गहरी सांस लें और फिर हाथों को पैरों की तरफ ले जाएं। कुछ पल इस मुद्रा में रहें।नौकासन दो शब्दों से मिलकर बना है नौका अर्थात नाव और आसन अर्थात मुदा। नाव के आसन की मुद्रा को नौकासन कहा जाता है। इस आसान को करने से पाचन तंत्र मजबूत होता है।
सुखासन
सुखासन एक सरल और काफी लोकप्रिय योग आसन है। यह ध्यान और ब्रीदिंग एक्सरसाइज के दौरान किया जाता है। यह कमल मुद्रा और पद्मासन के रूप में भी जाना जाता है। सुखासन शब्द शांति और मुद्रा का वर्णन करता है। सुखासन करना काफी आसान है और आप इसे आसानी से खुद भी कर सकते हैं।
सुखासन करने के बहुत सारे फायदे हैं। यह शरीर के पोस्चर में सुधार करने में मदद करता है और कमर के दर्द से राहत दिलाता है। हम सभी दिन भर कुर्सी पर बैठे रहते हैं और ऐसे में हमारा पोस्चर खराब होना आम बात है। इसलिए आप इस आसन को अपने रूटीन में शामिल कर सकते हैं।
पद्मासन
पद्मासन संस्कृत शब्द पद्म से निकला है जिसका का अर्थ होता है कमल। इस आसन में शरीर बहुत हद तक कमल जैसा प्रतीत होता है। इसलिए इसको lotus pose भी कहते हैं। पद्मासन बैठ कर किया जाने वाला एक ऐसी योगाभ्यास है जिसके बारे में शास्त्रों में कहा गया है कि यह आसन अकेले शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक रूप से आपको सुख एवं शांति देने में सक्षम है। इस आसन में शारीरिक गति विधियां बहुत कम हो जाती है और आप धीरे धीरे आध्यात्मिक की ओर अग्रसर होते जाते हैं। तभी तो आसन को ध्यान के लिए सर्वश्रेष्ट योगाभ्यास माना गया है।
इस आसन से कंसंट्रेशन बढ़ता है, मेमोरी इंक्रीज होती है साथ ही चेहरे के लिए भी अच्छा होता है।
शवासन
शवासन, योग विज्ञान का बेहद महत्वपूर्ण आसन है। शवासन को किसी भी योग सेशन के बाद बतौर अंतिम आसन किया जाता है। ‘शवासन’ शब्द दो अलग शब्दों यानी कि ‘शव’ और ‘आसन’ से मिलकर बना है। ‘शव’ का शाब्दिक अर्थ होता है मृत देह जबकि आसन का अर्थ होता है ‘मुद्रा’ या फिर ‘बैठना’।
आम धारणा है कि शवासन बेहद सरल आसन है। जबकि हकीकत ये है कि शवासन योग विज्ञान के सबसे कठिन आसनों में से एक है। ये आसन देखने में बेहद सरल लगता है लेकिन इसमें सिर्फ लेटना ही नहीं होता है बल्कि अपने मन की भावनाओं और शरीर की थकान दोनों पर एक साथ नियंत्रण पाना होता है।
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