छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले की एक अदालत ने 16 वर्षीय आदिवासी किशोरी के साथ गैंगरेप और उसके साथ ही उसके परिवार के दो सदस्यों की हत्या करने वाले पांच दोषियों को फांसी और एक आरोपी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। सजा सुनाते हुए न्यायाधीश ने कहा कि यह अपराध अत्यंत जघन्य और अमानवीय था। सभी दोषियों को भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या), 376(2)जी (गैंगरेप), पोक्सो और एससी-एसटी अधिनियम के तहत दोषी ठहराया गया।
सरकारी वकील ने अदालत से सभी छह आरोपियों को फांसी की सजा देने की मांग की थी। हालांकि, अदालत ने पांच को फांसी और छठे आरोपी को चिकित्सा आधार पर आजीवन कारावास की सजा दी। यह मामला वर्ष 2021 का है, जब किशोरी के साथ गैंगरेप किया गया था। इसके बाद उसे पत्थरों से कुचलकर जंगल में फेंक दिया गया, जहां उसकी दर्दनाक मौत हो गई। इसी घटना में किशोरी के पिता और परिवार की एक अन्य लड़की की भी हत्या कर दी गई थी।
पुलिस ने कैसे खोला मामला?
पुलिस के अनुसार, इस घटना में शामिल मुख्य आरोपी संतराम मांझवार के पास पीड़िता और उसका परिवार मजदूरी करता था। वे पशु चराने या अन्य काम करते थे। एक दिन संतराम ने पीड़िता, उसके पिता और एक अन्य लड़की को बाइक पर लिफ्ट देने के बहाने साथ ले गया। रास्ते में उसने शराब पी और अन्य आरोपी भी उसके साथ शामिल हो गए। इसके बाद, सभी ने किशोरी के पिता के सामने ही उसके साथ गैंगरेप किया। बाद में तीनों को पत्थरों से कुचलकर जंगल में फेंक दिया गया, जिससे उनकी मौत हो गई।
पुलिस ने बताया कि संतराम मांझवार किशोरी को अपनी दूसरी पत्नी बनाने का दबाव डाल रहा था, लेकिन पीड़िता और उसका परिवार इसके खिलाफ थे। इसी वजह से उसने इस घिनौने अपराध को अंजाम दिया।
अदालत ने सभी छह दोषियों में से पांच को फांसी की सजा दी, जबकि छठे आरोपी को उसकी खराब स्वास्थ्य स्थिति को ध्यान में रखते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई। यह फैसला समाज में अपराधियों के लिए एक कड़ा संदेश देने के रूप में देखा जा रहा है।
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