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Friday, November 22   11:09:36

Fukrey 3 Review: मूवी में कॉमेडी ओवर लोडेड, लेकिन स्टोरी में कुछ नयापन नहीं

‘फुकरे 3’ 28 सितंबर को थिएटर्स में रिलीज हो गई है। फुकरों से आपकी उम्मीद कॉमेडी की रहती है, तो हां, ये आपको हंसाती-गुदगुदाती है, बस हंसते हुए आपको तर्क से परे रहना होगा, वैसे भी हंसी में तर्क ढूंढने जाएंगे तो मामला गड़बड़झाला नजर आएगा।

दस साल पहले 2013 में आई फुकरे ने बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचा दिया था। फिर 2017 में इसका सीक्वल ‘फुकरे 2’ आया जो पहले से भी ज्यादा सफल रहा। लेकिन, पार्ट वन जितना दमदार नहीं था। अब पांच साल बाद ‘फुकरे 3’ एक बार फिर आपको लोट-पोट करने के लिए पर्दे पर रिलीज हो चुकी है। इसके कोई शक नहीं कि ‘फुकरे 3’ में इंटरटेनमेंट नहीं है। लेकिन, फिल्म को देखकर यह लगता है कि मेकर्स को इस बार कुछ नया दिखाने की सख्त जरूरत है। ‘फुकरे 3’ का कंटेंट और किरदारों में वही पुरानापन झलक रहा है।

इसके अलावा ‘फुकरे 3’ के नायक वहीं नालायक बच्चे हैं। हनी, चूचा, लाली और पंडित जी। चूचा को अब भी वहीं सपने आ रहे हैं। हनी उसे डिकोड कर रहा है। भोली पंजाबन उसका फायदा उठा रही है। यहां पर खेल थोड़ा सा पॉलिटिकल टर्न ले लेता है। भोली दिल्ली से चुनाव लड़ने जा रही है जिसे पानी माफिया ढींगरा स्पॉन्सर करता है। भोली और ढींगरा के बीच एक डील हुई है, जो शहर के लिए बहुत खतरनाक है। ऐसे में ये फुकरे भोली के खिलाफ चूचा को चुनावीरण में उतार देते हैं। क्योंकि भोली के इरादे नेक नहीं हैं। इसके बाद दोनों की गैंग के बीच चूहे-बिल्ली का खेल शुरू होता है।

‘फुकरे 3’ में चूचा उर्फ वरुण शर्मा के किरदार को छोड़ दे तो बाकी किसी और में किक नहीं मिल रही। इस बार भोली पंजाबन की रंगत फीकी पड़ गई है। स्टोरी में पंडितजी बने पंकज त्रिपाठी का किरदार सक्रिय नहीं है, 10 सालों में उन्होंने जिस स्टारडम को छुआ है उसके कारण ‘फुकरे 3’ में उनकी जगह बढ़ गई है।

फिल्म की लंबाई भी एक समस्या है जिसके कारण आपको कई जगहों पर बोरियत महसूस हो सकती है। फिल्म इंटरवल के पहले स्थिर है, वहीं इसके बाद कई कॉमिक सीक्वेंस हैं, लेकिन कहानी काफी उलझी हुई है। कहानी में टॉयलेट ह्यूमर पर काफी जोर दिया गया है, जो कहीं-कहीं ज्यादा लगता है। हालांकि किरदारों का कॉंबिनेशन मजेदार है। अश्विन मेहता का कलेंक्शन कमजोर है। अभिषेक नैलवाल का बैकग्राउंड म्यूजिक अच्छा है, लेकिन इसके म्यूजिक पार्ट को और ज्यादा तबज्जो दी जा सकती थी।

इस साल बॉलिवुड में सिक्वल मूवी की बाढ़ आ गई है। ‘गदर 2’, ‘ओएमजी 2’ के बाद अब ‘फुकरे 3’ रिलीज हो गई है। कुल मिलाकर कहा जाए तो ‘फुकरे 3’ एक ऐसी फिल्म है जिसके होने या न होने से कोई फर्क नहीं पड़ता। इसमें जितने पंच है उसका कोई भी सेंस नहीं निकलता है। यदि आप इस फिल्म में सोचने विचारने बैठेंगे तो इसे इंजॉय नहीं कर पाएंगे। छोटी-छोटी चीजों को नजर अंदाज करें तो फिल्म आपको चेहरे पर स्माइल लाएगी या आपको ज्यादा पसंद आई तो आप जोर-जोर से भी हंसते हुए दिख सकते हैं।