अफगानिस्तान का खाद्य संकट इतना गहरा गया है कि देश की आधे से अधिक जनसंख्या भुखमरी के कगार पर है।लोग खुद को जिंदा रखने के लिए अपनी किडनी और बच्चों तक को बेच रहे हैं।तालिबान के सत्ता में आने के बाद से लोगों की स्थिति और खराब हुई है।
लोग एक वक्त की रोटी जुटाने के लिए अपने शरीर के अंगों का सौदा कर रहे हैं। अफगानिस्तान में तालिबान ने 15 अगस्त को कब्जा किया जिसके बाद से ही अफगानिस्तान को मिलने वाली अंतर्राष्ट्रीय मानवीय मदद रोक दी गई है। कड़ाके की सर्दी में भूख से जूझ रहे लाखों लोगों की जिंदगी दांव पर लगी है।
हेरात शहर से लगभग 20 किलोमीटर दूर शहर-ए-सेब्ज क्षेत्र में हजारों अफगान, जिनमें ज्यादातर पश्तून हैं, किसी तरह अपनी जिंदगी गुजार रहे हैं। तालिबान और पिछली सरकार के बीच संघर्ष और पिछले 4 सालों के सूखे के कारण इन्हें अपना घर छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा है।
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