स्पेन के वेलेंसिया क्षेत्र में हालिया बाढ़ ने न केवल जान-माल को भारी नुकसान पहुंचाया है, बल्कि राजनीतिक और सामाजिक तनाव को भी बढ़ा दिया है। किंग फिलिप और क्वीन लेटिजिया जब बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा करने पहुंचे, तो उनकी गर्मजोशी से स्वागत करने के बजाय लोगों ने उन पर कीचड़ फेंककर विरोध दर्ज कराया। ‘हत्यारे’ और ‘शर्म करो’ जैसे नारों के बीच ये दृश्य बौखलाए नागरिकों की गहरी निराशा को दर्शाते हैं।
प्रधानमंत्री पेड्रो सांचेज भी इस दौरे में शामिल थे, लेकिन जब लोग उनसे यह पूछने लगे कि बाढ़ को रोकने के लिए क्या उपाय किए गए थे, तो स्थिति और भी तनावपूर्ण हो गई। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ा, जिसमें दो सुरक्षा गार्ड घायल हुए। ऐसे में किंग और पीएम को मजबूरन अपना दौरा अधूरा छोड़कर वापस लौटना पड़ा।
स्पेन हाल के समय में आई सबसे विनाशकारी बाढ़ का सामना कर रहा है, जिसमें कम से कम 217 लोगों की जान चली गई है। वेलेंसिया में महज आठ घंटे के भीतर इतनी बारिश हुई कि उसने एक साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया। इस अचानक आई बाढ़ ने नागरिकों को सुरक्षित स्थानों पर जाने का समय तक नहीं दिया, जिससे गुस्सा और बढ़ गया।
वेलेंसिया के सांसद खुआन बोर्डेरा ने किंग का दौरा ‘बहुत बुरा फैसला’ बताते हुए कहा कि यह एक संवेदनहीनता थी, विशेषकर तब जब बाढ़ आने के चार दिन बाद वह क्षेत्र का दौरा कर रहे थे। मौसम वैज्ञानिकों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण इस प्रकार की बाढ़ों की आवृत्ति बढ़ रही है।
इस कठिनाई के बीच, राहत कार्यों के लिए सेना के 1,000 से अधिक सैनिक तैनात किए गए हैं, लेकिन स्थानीय लोगों का आरोप है कि मदद पर्याप्त नहीं है। बाढ़ ने सड़कों और संचार लाइनों को बुरी तरह से प्रभावित किया है, जिससे कई इलाके अभी भी शहरों से कटे हुए हैं।
यह घटना केवल एक प्राकृतिक आपदा का परिणाम नहीं है, बल्कि यह राजनीतिक नेताओं के प्रति लोगों की बढ़ती निराशा और असंतोष का संकेत भी है। नेताओं को चाहिए कि वे केवल औपचारिकता निभाने के बजाय, संकट के समय में सक्रिय रूप से नागरिकों की मदद करें। अगर ऐसी समस्याओं को गंभीरता से नहीं लिया गया, तो यह निश्चित रूप से भविष्य में और भी बड़े सामाजिक आंदोलनों का कारण बन सकता है।
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