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रामलला प्राण-प्रतिष्ठा की पहली वर्षगांठ, अयोध्या में तीन दिन भव्य आयोजन

अयोध्या में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा की पहली वर्षगांठ धूमधाम से मनाई जा रही है। विशेष पूजा के तहत आज रामलला का पंचामृत अभिषेक किया गया। पुजारियों ने उन्हें दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से स्नान कराया और फिर गंगाजल से उनका अभिषेक किया। इस अवसर पर मंदिर को विदेशी फूलों से सजाया गया और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ रामलला की महाआरती करेंगे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस खास दिन पर देशवासियों को बधाई दी। उन्होंने विश्वास जताया कि राम मंदिर, भारत के विकास के संकल्प को सिद्ध करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। अयोध्या में इस समय कड़ाके की सर्दी है, लेकिन दिल्ली, हिमाचल प्रदेश और देश के अन्य हिस्सों से हजारों श्रद्धालु रामलला के दर्शन के लिए यहां पहुंचे हैं। रामलला के दर्शन के लिए 2 लाख श्रद्धालुओं के आने का अनुमान है।

राम मंदिर परिसर के पास स्थित अंगद टीला पर 5 हजार से अधिक लोग राम कथा सुनेंगे। इस विशेष अवसर पर, मंदिर ट्रस्ट ने सुरक्षा व्यवस्था को सुनिश्चित करने के लिए अतिरिक्त कदम उठाए हैं। खासतौर पर अंगद टीला के पास डॉग स्क्वाड की तैनाती की गई है और सुरक्षा एजेंसियां मुस्तैद हैं।

मंदिर ट्रस्ट ने जानकारी दी कि 11 से 13 जनवरी तक चलने वाले इस उत्सव के दौरान आम दर्शन सुबह 6:30 बजे से लेकर रात 9:30 बजे तक जारी रहेंगे। इन तीन दिनों में VIP दर्शन की व्यवस्था नहीं होगी, जिससे आम श्रद्धालुओं को बिना किसी रुकावट के दर्शन का अवसर मिलेगा।

यहां तक कि महाराष्ट्र से एक बच्ची अपनी मां के साथ रामलला की तरह सजकर पहुंची, जिसने इस दिन को और भी विशेष बना दिया। उसकी मां ने बताया कि उसने अपनी बेटी के लिए आभूषण खुद बनाए थे क्योंकि वे बाजार में नहीं मिल रहे थे, और इस काम को पूरा करने में उसे दो महीने का समय लगा।इसके अलावा, अयोध्या के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येन्द्र दास ने बताया कि पूरे अयोध्या को सजाया गया है और इस मौके पर शहर के प्रत्येक मंदिर में उत्सव मनाया जाएगा।

मंदिर का निर्माण कार्य और भविष्य का रूप

राम मंदिर का निर्माण कार्य भी तेजी से चल रहा है और अब मंदिर का शिखर अंतिम रूप ले रहा है। यह मंदिर, न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि राष्ट्रीय एकता और सांस्कृतिक धरोहर के प्रतीक के रूप में भी महत्वपूर्ण है। इसका पूरा निर्माण देशवासियों की आस्था, संघर्ष और समर्पण का प्रतीक बनेगा।

रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा की पहली वर्षगांठ सिर्फ एक धार्मिक उत्सव नहीं है, बल्कि यह भारतीय समाज के सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पुनर्निर्माण का प्रतीक भी है। यह अयोध्या में एक नई ऊर्जा का संचार कर रहा है, जहां लोग सिर्फ आस्था से नहीं, बल्कि गौरव और आशा से भरे हुए हैं। राम मंदिर के निर्माण से जुड़ी हर छोटी-बड़ी जानकारी और इस प्रकार के आयोजनों से यह स्पष्ट होता है कि भारत की सांस्कृतिक विरासत और धार्मिक पहचान को फिर से जीवित किया जा रहा है।