देश को अकाल से उबारने और किसानों को मज़बूत बनाने वाले हरित क्रांति के प्रमुख वैज्ञानिक वास्तुकार डॉ. एम.एस.स्वामीनाथन का निधन हो गया है। डॉ. एम.एस.स्वामीनाथन का निधन हो गया है। वे एक महान संस्थान निर्माता, एक प्रेरक शिक्षक, एक प्रेरक नेता थे, लेकिन इन सबसे ऊपर वे सबसे बड़ी विनम्रता और संयम रूपी व्यक्ति थे।
भारत के महान कृषि वैज्ञानिक डॉ. एम.एस.स्वामीनाथन ने तमिलनाडु की राजधानी चैन्नई में सुबह 11 बजकर 20 मिनट में आखरी सांस ली। उनका जन्म 7 अगस्त, 1925 को हुआ था। स्वामीनाथ ने 98 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया।
डॉ. एम.एस.स्वामीनाथन डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चर के वैज्ञानिक थे, जिन्होंने 1992 से लेकर 1997 तक इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। उन्हें कृषि क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण भी नवाजा जा चुका है। स्वमीनाथन की गिनी भारत के महान कृषि वैज्ञानिक के रूप में की जाती है।
उनके निधन पर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उन्हें श्रद्धांजली दी। उन्होंने एक्स पर लिखा कि स्वामीनाथन ने 1949 में आलू, गेहूं, चावल और जूट के आनुवंशिकी पर शोध करके अपना करियर शुरू किया। 1960 के दशक में, जब भारत बड़े पैमाने पर अकाल के कगार पर था, जिसके कारण खाद्यान्न की कमी हो गई थी, स्वामीनाथन ने नॉर्मन बोरलॉग और अन्य वैज्ञानिकों के साथ मिलकर गेहूं की उच्च उपज वाली किस्म के बीज विकसित किए।
उन्होंने आगे लिखा कि कृषि में अपने क्रांतिकारी योगदान के अलावा, डॉ. स्वामीनाथन नवप्रवर्तन के पावरहाउस और कई लोगों के लिए एक प्रेरक गुरु थे। अनुसंधान और परामर्श के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता ने अनगिनत वैज्ञानिकों और नवप्रवर्तकों पर एक अमिट छाप छोड़ी है। मैं डॉ. स्वामीनाथन के साथ अपनी बातचीत को हमेशा याद रखूंगा। भारत को प्रगति करते देखने का उनका जुनून अनुकरणीय था। उनका जीवन और कार्य आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करेगा। उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति संवेदनाएं। शांति।
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