चंडीगढ़ प्रशासन ने अभी तक धरना प्रदर्शन की अनुमति नहीं दी है, इसके बावजूद किसानों का आक्रोश थम नहीं रहा है और वे अपनी मांगों के साथ प्रदर्शन जारी रखेंगे। सुरक्षा के मद्देनज़र, चंडीगढ़ प्रशासन ने बॉर्डर को पूरी तरह सील कर दिया है और नाकाबंदी कर जांच प्रक्रिया को तेज़ कर दिया है।
गौरतलब है कि 26 फरवरी को किसान मोर्चा संघ और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के बीच एक बैठक आयोजित की गई थी। इस बैठक में किसानों ने निम्नलिखित मांगें रखीं:
- किसान आंदोलन में मारे गए लोगों के परिजनों को मुआवजा और सरकारी नौकरी प्रदान की जाए।
- किसानों के नाबार्ड लोन के लिए वन टाइम सेटलमेंट स्कीम शुरू की जाए।
- आवारा पशुओं की समस्या का समाधान निकाला जाए।
- पशुओं द्वारा फसलों को होने वाले नुकसान को रोकने के लिए किसानों को राइफल लाइसेंस जारी किए जाएं।
- प्रीपेड बिजली मीटर लगाने पर रोक लगाई जाए।
- बाढ़ के कारण गन्ने की फसल को हुए नुकसान का मुआवजा दिया जाए।
- MSP की कानूनी गारंटी मिले।
- कृषि मार्केटिंग पॉलिसी के ड्राफ्ट को रद्द किया जाए।
- सहकारी समितियों में नए खाते खोलने पर लगा प्रतिबंध हटाया जाए।
- किसानों को नैनो पैकेजिंग और अन्य उत्पादों की आपूर्ति पर लगे प्रतिबंधों को हटाया जाए।
हालांकि, किसानों की मांगों को लेकर पंजाब के मुख्यमंत्री की असंतुष्टि स्पष्ट रूप से दिखाई दी। मीडिया से बात करते हुए मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा, “मैंने किसानों से पूछा कि 5 मार्च के मोर्चे का क्या होगा?” इस पर किसानों ने जवाब दिया कि प्रदर्शन जारी रहेगा। मुख्यमंत्री का मानना है कि “प्रदर्शन और वार्ता एक साथ नहीं हो सकते।”
अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि सरकार किस प्रकार किसानों के मोर्चे को नियंत्रित करती है और क्या किसानों की मांगों को पूरा कर पाती है।

More Stories
बार-बार दुष्कर्म कर वीडियो इंटरनेट पर डाला, कोर्ट ने शादी की शर्त पर दी जमानत
महाकुंभ: धार्मिक आयोजन से आर्थिक क्रांति तक — स्थानीय व्यापारियों के लिए सुनहरा अवसर
‘मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता…’ सेमीफाइनल जीतने के बाद आलोचकों पर भड़के गौतम गंभीर