CATEGORIES

November 2024
M T W T F S S
 123
45678910
11121314151617
18192021222324
252627282930  
Friday, November 8   3:46:37
kishan chachi

‘किसान चाची’ की साइकिल से लेकर पद्मश्री तक की यात्रा

66 साल की उम्र में जब राजकुमारी देवी, जिन्हें लोग प्यार से ‘किसान चाची’ कहते हैं, साइकिल चलाते हुए गांव में आती हैं, तो लोग देखकर मुस्कुराते हैं। लेकिन यह हंसी उनके संघर्ष और सफलता की कहानी के प्रति सम्मान की हंसी है, क्योंकि ये साधारण सी दिखने वाली महिला वास्तव में असाधारण हैं। इस साल उन्हें भारत सरकार ने पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया है, जो उनके कठिन परिश्रम और अटूट संकल्प का प्रतीक है।

राजकुमारी देवी बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के सरैया ब्लॉक के आनंदपुर गांव की रहने वाली हैं। मात्र 15 साल की उम्र में उनका विवाह एक किसान से हुआ, जो केवल तम्बाकू की खेती करता था। परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी और इसके कारण घर में हमेशा तनाव बना रहता था। शादी के नौ साल बाद भी जब उनकी गोद सूनी रही, तो समाज ने उन्हें ताने दिए और यहां तक कि उन्हें घर से बाहर कर दिया गया।

परंतु, राजकुमारी देवी ने हार नहीं मानी। उन्होंने खुद खेती शुरू की और जो भी फसलें उगाईं, उनसे अचार और मुरब्बा बनाना शुरू किया। लेकिन इन उत्पादों को बेचने में उन्हें कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। इस मुश्किल को देखते हुए, उन्होंने साइकिल चलाना सीखा और खुद ही अपने उत्पादों को बेचने लगीं।

राजकुमारी देवी को जल्द ही एहसास हुआ कि अगर वे बेहतर तरीके से काम करें तो अधिक लाभ कमा सकती हैं। इसके लिए उन्होंने पूसा कृषि विश्वविद्यालय से खेती और खाद्य प्रसंस्करण का प्रशिक्षण लिया। उन्होंने पपीता जैसी जल्दी फल देने वाली फसलें उगाईं और अचार-मुरब्बों से अच्छी आय प्राप्त की। जब उनका काम बढ़ा, तो उन्होंने और महिलाओं को प्रशिक्षण देकर अपने साथ जोड़ा, जिससे उनका साम्राज्य बढ़ता गया।

उनकी सफलता ने सबका ध्यान खींचा। 2003 में, लालू प्रसाद यादव ने सरैया मेले में उन्हें सम्मानित किया और 2007 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उनके घर जाकर उनके कार्यों की सराहना की और उन्हें ‘किसानश्री’ पुरस्कार से सम्मानित किया, जो पहली बार किसी महिला को मिला था।

अमिताभ बच्चन के एक शो में भी राजकुमारी देवी को आमंत्रित किया गया, जहां उन्हें एक आटा चक्की, 5 लाख रुपये और कई साड़ियां उपहार स्वरूप मिलीं।

आज, राजकुमारी देवी स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से हजारों महिलाओं को आत्मनिर्भर बना रही हैं। कभी अकेले खेतों में काम करने वाली यह महिला आज हज़ारों महिलाओं के लिए प्रेरणा बन चुकी है। उनकी कहानी बताती है कि ईमानदारी और इच्छाशक्ति से कुछ भी संभव है, और सरकार भी ऐसे लोगों को ऋण और अनुदान देकर पूरी तरह समर्थन देने के लिए तैयार है