नई दिल्ली: विश्व प्रसिद्ध तबला वादक उस्ताद जाकिर हुसैन अब इस दुनिया में नहीं रहे। वह लंबे समय से गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे थे। रिपोर्ट्स के अनुसार, उन्हें फेफड़ों में फाइब्रोसिस की समस्या थी, जिसके चलते उनकी तबीयत बिगड़ती गई। पिछले कुछ दिनों से उनकी हालत नाजुक बनी हुई थी और वह अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को के एक अस्पताल में आईसीयू में भर्ती थे।
उस्ताद जाकिर हुसैन के परिवार ने उनके निधन की पुष्टि करते हुए बताया कि उन्होंने रविवार (15 दिसंबर 2024) को अंतिम सांस ली। इससे पहले उनके निधन की अफवाहें भी फैली थीं, लेकिन अब परिवार ने इसकी आधिकारिक घोषणा कर दी है। उनके करीबी मित्र और मशहूर बांसुरी वादक राकेश चौरसिया ने भी इस खबर की जानकारी दी।
गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे थे जाकिर हुसैन
परिवार के मुताबिक, फेफड़ों में फाइब्रोसिस और अस्थिर ब्लड प्रेशर उनकी बिगड़ती हालत के प्रमुख कारण थे। उनकी पत्नी ने कहा कि वह बेहद कमजोर हो गए थे और उन्होंने सभी से उनके लिए प्रार्थना करने की अपील की थी। लेकिन, किस्मत को कुछ और ही मंजूर था।
उस्ताद जाकिर हुसैन का जन्म 9 मार्च 1951 को मुंबई में हुआ था। बचपन से ही उन्हें तबले का शौक था और उन्होंने अपने पिता, महान तबला वादक उस्ताद अल्लाह रक्खा से इसकी बारीकियां सीखीं। मात्र तीन साल की उम्र में उन्होंने ताल वादन सीखना शुरू कर दिया था। सात साल की उम्र में उन्होंने पहला कॉन्सर्ट किया और 11 साल की उम्र से विदेश यात्राएं शुरू कर दीं।
2009 में, वह पहले भारतीय कलाकार बने जिन्हें पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने व्हाइट हाउस में ऑल-स्टार ग्लोबल कॉन्सर्ट में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया।
ग्रैमी अवार्ड में भारत का परचम लहराया
इस साल आयोजित 66वें ग्रैमी अवार्ड्स में उनके बैंड ‘शक्ति’ ने “दिस मोमेंट” एल्बम के लिए बेस्ट ग्लोबल म्यूजिक एल्बम का पुरस्कार जीता। यह एल्बम 46 साल पुराने बैंड “शक्ति” के कलाकारों द्वारा बनाई गई थी। जाकिर हुसैन ने ग्रैमी में तीन अलग-अलग श्रेणियों में पुरस्कार जीते, जो उनकी प्रतिभा का बड़ा उदाहरण है।
कुछ समय पहले जाकिर हुसैन ने “एज़ वी स्पीक” नामक भारत दौरे की घोषणा की थी, जो 2025 के जनवरी में शुरू होना था। इसमें कई बड़े कलाकारों की भागीदारी की उम्मीद थी, लेकिन अब उनके निधन के बाद यह दौरा रद्द कर दिया गया है।
अपने जीवनकाल में उस्ताद जाकिर हुसैन को भारत सरकार ने पद्म श्री, पद्म भूषण, और पद्म विभूषण जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया। उनकी कला और योगदान ने उन्हें दुनियाभर में अमर बना दिया।
उस्ताद जाकिर हुसैन का निधन संगीत जगत के लिए अपूरणीय क्षति है। उनके करोड़ों प्रशंसक और शिष्य उनकी कमी को हमेशा महसूस करेंगे।
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