नागरिक उड्डयन मंत्री राम मोहन नायडू ने हाल ही में देश में बढ़ती फर्जी बम कॉल की घटनाओं पर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार इस तरह की झूठी धमकियों को गंभीरता से ले रही है और जल्द ही एक कठोर कानून लाने की योजना बना रही है।
फर्जी कॉल की बढ़ती घटनाएँ
भारत में पिछले कुछ महीनों में डोमेस्टिक और इंटरनेशनल फ्लाइट्स में बम होने की झूठी धमकियों में तेज़ी आई है। हाल ही में, केवल छह दिनों के भीतर लगभग 70 ऐसी फर्जी कॉल आई हैं। शनिवार को ही 30 से अधिक विमानों को बम की धमकी मिली, जिससे यात्रियों में डर और असुरक्षा का माहौल बना। ये घटनाएँ न केवल यात्रियों के लिए चिंता का कारण बनती हैं, बल्कि एयरलाइंस कंपनियों के लिए भी वित्तीय परेशानी उत्पन्न कर रही हैं।
सरकार की प्रतिक्रिया
मंत्री नायडू ने इस मुद्दे पर कहा, “हमने तय किया है कि ऐसे मामलों को रोकने के लिए हम दो महत्वपूर्ण कदम उठाएंगे। पहला, विमान सुरक्षा नियमों में संशोधन किया जाएगा ताकि यदि कोई व्यक्ति इस प्रकार की कॉल करते हुए पकड़ा जाता है, तो उसे नो-फ्लाइंग लिस्ट में डाल दिया जाएगा। दूसरा, नागरिक उड्डयन सुरक्षा के खिलाफ गैरकानूनी कृत्यों के दमन अधिनियम में भी संशोधन किया जाएगा।”
क्या सुरक्षा प्रणाली की खामियां अब उजागर हो रही हैं?
इन घटनाओं ने यह सवाल उठाया है कि क्या हमारी सुरक्षा प्रणाली में कहीं न कहीं कमी है। फर्जी कॉल करने वालों को दंडित करने की बजाय, क्या हमें सुरक्षा उपायों को और मजबूत करने की आवश्यकता नहीं है? क्या हमारी विमानन सुरक्षा प्रणाली इन झूठी धमकियों का सामना करने में सक्षम है?
इस प्रकार की घटनाएँ न केवल यात्रियों के मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करती हैं, बल्कि विमानन उद्योग की वित्तीय स्थिरता को भी खतरे में डालती हैं। सरकार का इस मुद्दे पर संज्ञान लेना सकारात्मक है, लेकिन सख्त कानून और सुरक्षा उपायों के साथ-साथ हमें सामूहिक जागरूकता बढ़ाने की भी आवश्यकता है। फर्जी कॉल करने वालों को सख्त सजा देने से पहले, क्या हम इस समस्या के मूल कारणों की ओर ध्यान नहीं दे सकते?आखिरकार, एक सुरक्षित और विश्वसनीय विमानन प्रणाली का निर्माण केवल कानूनों से नहीं, बल्कि मजबूत कार्यप्रणाली और नागरिक जागरूकता से संभव है।
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