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asthma report

भारत में इस बीमारी से हर साल हो रही 2 लाख लोगों की मौत, रिपोर्ट पढ़कर उड़ जाएंगे होश

भारत में अस्थमा की वजह से हर साल 2 लाख लोगों की मौत हो रही है। इसलिए इस बीमारी का उपचार करना बहुत ही जरूरी है। कुछ लोग इसे हल्के में ले रहे होंगे, लेकिन अब उन लोगों को इस बीमारी के प्रति जागरूक होना बहुत आवश्यक है। डॉक्टरों का मानना है कि इस बीमारी के लिए ऐसे इलाज मौजूद हैं जो काफी प्रभावी और सुरक्षित है। लोग इनका उपयोग करते लगभग सामान्य जीवन जी सकते हैं।

ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज 2021 रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक स्तर पर अस्थमा से संबंधित मौतों में से 46 प्रतिशत मौतें भारत में होती हैं। जो 2019 की रिपोर्ट से 43 प्रतिशत ज्यादा है। यदि हालिया रिपोर्टों पर गौर किया जाए तो भारत में 90 प्रतिशत से अधिक अस्थमा रोगी इनहेल्ड कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स का उपयोग नहीं करते हैं। इसके अलावा वे ब्रोंकोडायलेटर दवाएं केवल मौखिक रूप से या साँस के द्वारा लेते हैं, जिससे अधिक दर्द होता है और मृत्यु हो जाती है।

अस्थमा एक आनुवांशिक बीमारी

अस्थमा एक आनुवांशिक बीमारी है जो परिवारों में चलती है, लेकिन वायु प्रदूषण ने इसे और भी गंभीर बना दिया है। इस बीमारी में सांस लेने में तकलीफ एक सामान्य लक्षण है, इसके अलावा खांसी, नाक बहना, छींक आना भी इसका असर हो सकता ह।

अस्थमा के मरीज़ अक्सर खांसी की शिकायत करते हैं, जो रात में अधिक आम है, जिससे उनकी नींद खुल जाती है और ज़ोरदार गतिविधि के दौरान सांस लेने में कठिनाई होती है।

अस्थमा के 50 प्रतिशत मरीज बच्चे

बच्चों में आमतौर पर अस्थमा जल्दी विकसित हो जाता है। इसके  50 फीसदी मरीज बच्चे होते हैं। हालाँकि, स्पाइरोमेट्री तक पहुँच की कमी के कारण भारत में अस्थमा का इलाज कम ही होता है।

ग्लोबल अस्थमा नेटवर्क (जीएएन) अध्ययन

इस रिसर्च में भारत में नौ अलग-अलग स्थानों के 6-7 साल की उम्र के 20 हजार 84 बच्चों, 13-14 साल की उम्र के 25 हजार 887 बच्चों और 81 हजार 296 माता-पिता पर आयोजित किया गया था। इसमें पाया गया कि 82 प्रतिशत मामलों में अस्थमा का इलाज किया गया था। वहीं  गंभीर अस्थमा से पीड़ित लोगों में भी 70 प्रतिशत का निदान नहीं हो पाता है।

अस्थमा का इलाज

अस्थमा के लिए सबसे प्रभावी और सुरक्षित उपचार ब्रोन्कोडायलेटर्स के साथ इनहेलर या मीटर्ड डोज़ इनहेलर द्वारा दिया जाने वाला कॉर्टिकोस्टेरॉइड है। जिससे मृत्यु का दर कम हो सकता है।

फिर भी जीएएन अध्ययन में पाया गया कि अस्थमा से पीड़ित केवल 5 प्रतिशत बच्चे और 10 प्रतिशत वयस्क ही इन दवाओं का उपयोग कर रहे थे। अस्थमा के इलाज का सबसे सुरक्षित, तेज़ और सबसे प्रभावी तरीका साँस द्वारा दवाएँ लेना है।

गलतफहमियों को दूर करना जरूरी 

अस्थमा से जुड़ी कई भ्रांतियां हैं, जैसे- अस्थमा एक संक्रामक रोग है और एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है, सांस के जरिए ली जाने वाली दवाएं बहुत खतरनाक होती हैं। जो कि वास्तव में गलत धारणाएं हैं। यदि आपको अस्थमा है, तो अपने डॉक्टर के साथ मिलकर काम करना महत्वपूर्ण है ताकि आपके लिए एक उपचार योजना विकसित की जा सके जो आपके लिए सबसे अच्छा काम करे।