देश में लोकसभा चुनावों के मैदान में 4 जून का किंग कौन बनेगा। इसे लेकर अब तक सभी नेता अपनी-अपनी पार्टियों का दावा कर रहे हैं। एक ओर भाजपा है जो अपने हर चुनावी रण में जनता को संबोधित कर इस बार 400 पार मोदी सरकार नारे का चूरन दे रही हैं। वहीं दूसरी ओर INDIA अपनी सरकार बनाने का दावा ठोक रही है। इस मौन खामोश और सुस्त चुनावों में ये ही ताल ठोकी जा रही है।
इन चुनावों को लेकर वरिष्ठ पत्रकार प्रभु चावला का कहना है कि चुनाव में अपनी पार्टी की ताल ठोकना हर चुनाव पार्टी का काम होता है। जैसे इंडिया गठबंधन ने इन चुनावों को लेकर अपनी ताल ठोकना शुरू किया उसके बाद भाजपा से पीएम नरेंद्र मोदी से लेकर सभी नेताओं ने भी अपने-अपने भाषण में पार्टी की बहुमत दिखा दी।
जहां एक ओर भाजपा इस बार के चुनाव में 400 पार और कांग्रेस 300 पार के नारे लगा रही है इस पर वरिष्ठ पत्रकार का कहना है कि पहले एक और दूसरे चरण के चुनाव में भाजपा का दमखल नजर आ रहा था। और पांचवे फेस के चुनाव के बाद लग रहा है की दोनों ही पार्टियों में अब बराबर की टक्कर है। लेकिन, एडवांटेज अभी भी बीजेपी के पास है। ये चुनाव इस पर निर्भर करते हैं कि बीजेपी के अंदर मोदी की पॉपुलेरिटी कितनी है।
वहीं पांचवे चरण की वोटिंग के बारे में एक और वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप सिंह का कहना है कि इस बार वोटिंग परसेंटेज गिर रहा है। 2022 में जब गुजरात में विधानसभा का चुनाव था उस वक्त 10 परसेंटेज वोटिंग शेयर गिर गए थे। भाजपा की बंपर जीत हुई थी। इस प्रकार वोटिंग परसेंटेज के आधार पर हम नहीं पता लगा सकते कि ये लहर है या नहीं। नतीजा आने के बाद बता चलता है कि लहर किसकी थी। उसके पहले अंदाजा ये होता है कि फ्रंट रनर कौन है। आगे कौन है। ये अंदाजा जो भी चुनाव पढ़ने की कोशिश करते है उनको हो जाता है। वरिष्ठ पत्रकार का मानना है कि बीजेपी इन चुनावों में फ्रंट रनर है और काफी आगे है। NDA 400 का दावा कर रहा है वो कोई ऐसा दावा नहीं है जो कोई असंभव लगता हो। ये दावा संभावना के दायरे में है।
वहीं दूसरी ओर पांचवे चरण के बाद अमित शाह का कहना है कि हमने इस चरण में 310 सीटों का आंकड़ा पार कर लिया है। अमित शाह के इस दावे को लेकर वरिष्ठ पत्रकार का कहना है कि इस वक्त हमें किसी भी पार्टि के नेताओं के दावे पर नहीं जाना है। हर पार्टी अपनी पार्टी को सबसे आगे दिखाना चाहती है। अगर कोई पार्टी कह रही है कि जितने हम लड़े नहीं है उससे ज्यादा जीत रहे हैं तो गनिमत समझिए। तो इसलिए उन दावो को अलग कर दें। पत्रकार का मानना है कि 2019 से लेकर 2024 तक नरेंद्र मोदी ने ऐसा कुछ भी नहीं किया है कि जिन लोगों ने 2019 में उन्हें वोट दिया था वे 2024 में भी उन्हें वोट दें।
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