सूरत लोकसभा में हुए हाईवोल्टेज ड्रामे के बाद कांग्रेस प्रत्याशी द्वारा समर्थकों से फर्जी हस्ताक्षर कराने का मामला सामने आया है। इस गंभीर अपराध के बाद चुनाव आयोग ने जांच के आदेश दे दिए हैं। यदि चुनाव आयोग कोई कार्रवाई करता है तो पूर्व कांग्रेस प्रत्याशी को भारी मुसीबत का सामना करना पड़ेगा।
नामांकन पत्र में हस्ताक्षर गलत होने पर कांग्रेस प्रत्याशी नीलेश कुंभाणी के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की गई, इस सवाल के जवाब में राज्य के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी पी. भारती ने कहा कि यह सामान्य प्रक्रिया है कि समर्थकों के झूठे हस्ताक्षर के कारण कांग्रेस उम्मीदवार और डमी उम्मीदवार का फॉर्म रद्द कर दिया गया, लेकिन उम्मीदवारों द्वारा गलत हस्ताक्षर किए जाने की जांच की जा सकती है।
उन्होंने आगे कहा कि हम सूरत जिला कलेक्टर और चुनाव अधिकारी से झूठे हस्ताक्षरों के संबंध में विस्तृत रिपोर्ट मांगने जा रहे हैं और यदि जांच में कोई गलती होगी तो कार्रवाई की जाएगी। रिपोर्ट मिलने पर ही चुनाव आयोग कार्रवाई कर सकता है, लेकिन गलत हस्ताक्षर जांच का विषय है। चुनाव आयोग भाजपा प्रत्याशी मुकेश दलाल को सांसद का प्रमाणपत्र देने से पहले रिपोर्ट मांग सकता था। लेकिन, आयोग के पास इस सवाल का उचित जवाब नहीं था कि इतनी देर से रिपोर्ट बुलाने की वजह क्या थी।
बस इतना कहा गया है कि चुनाव प्रक्रिया में जो प्रक्रियाएं शामिल थीं, वे पूरी हो चुकी हैं। हालांकि, हमें अभी तक कोई शिकायत नहीं मिली है। इस सवाल के जवाब में कि सूरत में कांग्रेस और निर्दलीय उम्मीदवारों के अलावा अन्य दलों के उम्मीदवारों की तलाश में पुलिस क्यों दौड़ी गई, समशेर सिंह ने कहा कि अगर कोई उम्मीदवार सुरक्षा मांगता है, तो पुलिस सुरक्षा मुहैया कराती है। उसे सुरक्षा लेकिन इस मामले में कोई उम्मीदवार लापता नहीं हुआ है या पुलिस उसकी तलाश में नहीं गई है।
इस अपराध के लिए भारतीय दंड संहिता के तहत 2-7 साल की सजा का प्रावधान
यदि अभ्यर्थी के नामांकन पत्र में प्रस्तावक के झूठे/फर्जी हस्ताक्षर लगाए जाते हैं तो भारतीय दंड संहिता की धारा-464, 465, 468, 471, 120 (बी) के तहत अपराध होता है। यदि प्रस्तावकों द्वारा झूठा शपथ पत्र दिया जाता है कि यह हमारे द्वारा हस्ताक्षरित नहीं है, तो यह भारतीय दंड संहिता की धारा-191, 192, 193, 196, 199, 200 के तहत अपराध है। इन धाराओं के तहत दो से सात साल तक की सजा का प्रावधान है।
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