CATEGORIES

July 2024
MTWTFSS
1234567
891011121314
15161718192021
22232425262728
293031 
July 3, 2024
Eid al-Adha

Eid al-Adha मुबारक: खुशियां, बलिदान और भाईचारे का त्योहार

इस्लाम धर्म में साल में दो बार ईद का पर्व मनाया जाता है। इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार, नौवें महीने यानी ‘माह-ए-रमजान’ के बाद 10वें महीने ‘शव्वाल’ की पहली तारीख को ‘रमजान ईद’ मनाई जाती है। इसे ‘ईद-उल-फितर’ और ‘मीठी ईद’ भी कहा जाता है। वहीं, दूसरी ईद को ‘ईद-उल-अज़हा’ या ‘बकरीद’ कहा जाता है। ये 12वें महीने ‘माह-ए-जिलहिज्जा’ में मनाई जाती है। इस बार बकरीद आज यानी 17 जून को मनाई जा रही है। माह-ए-जिलहिज्जा इस्लामिक कैलेंडर का आखिरी महीना होता है। इस महीने में ही लोग हज यात्रा के लिए जाते हैं और ईद-उल-अज़हा के मौके पर कुर्बानी भी दी जाती है।

ईद-उल-अजहा का धार्मिक महत्व इस्लाम के पवित्र ग्रंथ कुरान से जुड़ा है। यह त्योहार हजरत इब्राहीम (अब्राहम) की अल्लाह के प्रति उनकी अटूट निष्ठा और विश्वास को श्रद्धांजलि देने के लिए मनाया जाता है।

कुरान के अनुसार, अल्लाह ने इब्राहीम को अपने बेटे इस्माइल को बलिदान करने का आदेश दिया था। इब्राहीम ने अल्लाह की आज्ञा का पालन करने के लिए अपने बेटे को बलिदान करने के लिए तैयार हो गए। लेकिन, जब वे इस्माइल को बलिदान करने लगे, तो अल्लाह ने उनकी निष्ठा को देखकर इस्माइल की जगह एक मेढ़े को बलिदान के लिए भेज दिया। इस घटना को याद करते हुए, ईद-उल-अजहा पर जानवरों का बलिदान किया जाता है।

त्योहार की तैयारी

ईद-उल-अजहा की तैयारी महीनों पहले से शुरू हो जाती है। लोग नए कपड़े खरीदते हैं, घरों को सजाते हैं और विशेष पकवानों की तैयारी करते हैं। बाजारों में रौनक होती है और हर जगह एक उत्साह का माहौल होता है। लोग मस्जिदों में जाकर नमाज अदा करते हैं और एक-दूसरे को ईद की मुबारकबाद देते हैं।

बलिदान की प्रक्रिया

बलिदान के दिन, जानवरों (जैसे बकरा, भेड़) की कुर्बानी दी जाती है। इस कुर्बानी का मांस तीन हिस्सों में बांटा जाता है: एक हिस्सा परिवार के लिए, दूसरा हिस्सा रिश्तेदारों और दोस्तों के लिए, और तीसरा हिस्सा गरीब और जरूरतमंद लोगों के लिए। इस तरह, इस पर्व के माध्यम से सामुदायिक भावना और भाईचारे को बढ़ावा मिलता है।

सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व

ईद-उल-अजहा का सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व भी बहुत बड़ा है। यह पर्व लोगों को एक-दूसरे के करीब लाता है और समाज में एकता, प्रेम और सद्भावना का संदेश फैलाता है। इस दिन, लोग एक-दूसरे के घर जाते हैं, उपहारों का आदान-प्रदान करते हैं और मिलकर खाने-पीने का आनंद लेते हैं। यह पर्व गरीब और जरूरतमंद लोगों की मदद करने की प्रेरणा देता है और समाज में समानता और सहयोग की भावना को प्रोत्साहित करता है।

ईद-उल-अजहा केवल एक धार्मिक पर्व नहीं है, बल्कि यह मानवता, बलिदान और समर्पण का प्रतीक है। यह त्योहार हमें सिखाता है कि सच्ची खुशी और संतोष केवल अपने लिए नहीं, बल्कि दूसरों के लिए कुछ करने में है। ईद-उल-अजहा हमें अपने जीवन में इन मूल्यों को अपनाने और एक बेहतर समाज की स्थापना करने के लिए प्रेरित करता है।

इस प्रकार, ईद-उल-अजहा का पर्व हमें धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से गहराई से प्रभावित करता है और हमें अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों की याद दिलाता है।